आज आएंगी राज्यपाल:भानुप्रतापपुर का सूर्य मंदिर साल में केवल एक बार खुलता है, यहां मूर्ति नहीं, डांग के रूप में विराजित हैं सूर्यदेव

अंतागढ़ के ग्राम टेमरूपानी में है बेहद प्राचीन सूर्य मंदिर। इस मंदिर के पट साल में केवल एक बार सेसा कार्यक्रम के दिन खुलते हैं। मंदिर कब का बना है यह तो ज्ञात नहीं लेकिन यहां सूर्य देव की कोई मूर्ति नहीं है। आदिवासी परंपरा के अनुरूप यहां सूर्य देव डांग के रूप में विराजित हैं। सूर्यदेव के नाम से दो गांवों में 10 एकड़ खेत हैं



इन्ही खेतों में उगी फसल सूर्य देव को अर्पित करने के बाद कार्यक्रम में पहुंचने वाले किसानों को दोनों में प्रदान किया जाता है। अगले वर्ष किसान बोवाई की शुरूआत इन्ही बीजों से करते हैं। इस साल 21 फरवरी रविवार को आयोजित सेसा कार्यक्रम में राज्यपाल अनुसुईया उईके भी शामिल हो रही हैं।

बारिश के लिए खोले जाते हैं मंदिर के पट

जिला मुख्यालय से 90 किमी दूर टेमरूपानी का सूर्य मंदिर सामान्यत: साल में एक बार सेसा कार्यक्रम के दौरान खुलता है। इसके अलावा विशेष परिस्थिति में जब अकाल पड़ रहा हो अब बारिश के लिए प्रार्थना करने मंदिर पट खोले जाते हैं। मान्यता है मंदिर में प्रार्थना करने से बारिश जरूर होती है।

मंदिर पुजारी व सूर्यदेव बुड़ालपेन सेवा समिति अध्यक्ष रजउराम उयके के अनुसार मंदिर में सूर्यदेव के अलावा उनकी पत्नि, बच्चे तथा नाती पोते भी हैं। मंदिर में सूर्यदेव की मूर्ति नहीं केवल डांग है जिसे सूर्यदेव का प्रतीक माना जाता है।

हर सात साल में एक बार होती है जात्रा

बृजलाल उयके, नंदकिशोर ने बताया यहां हर सात साल में एक बार जात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है। जात्रा में पुरे बस्तर संभाग के अलावा दुसरे राज्यों के देवी देवता और समाज के लोग शामिल होते हैं। इसे पोड़दगुमा सूर्यदेव जात्रा कहते हैं। इसके पहले जात्रा 2016 में हुआ था। अगले जात्रा का आयोजन 2023 में प्रस्तावित है।

ये है डांग का कपड़ा बदलने की किवदंती

सेसा के दिन मंदिर पट खोल डांग को बाहर निकाल मंदिर से थोड़ी दूरी देवस्थल में रख पारंपरिक रूप से पूजन किया जाता है। मंदिर के नाम से दो गांव बुढ़ालकट्‌टा तथा कोसाकट्‌टा में 5-5 एकड़ कुल दस एकड़ खेत हैं। मंदिर के खेतों में होने वाली फसल सूर्यदेव को अर्पित करने के बाद सेसा में पहुंचने वालों को दोने में प्रदान किया जाता है। बीजों से किसान अगले वर्ष बोआई शुरू करते हैं।

कुंवारों के अलावा महिलाओं का प्रवेश वर्जित

टेमरूपानी के प्राचीन सूर्यमंदिर परिसर में कुंवारे लड़के लड़कियों के अलावा महिलाओं का प्रवेश वर्जित होता है। आदिकाल से यह नियम चला आ रहा है। महिलाएं दूर से ही सूर्यदेव को प्रणाम करती हैं।

सुबह 11 बजे टेमरूपानी पहुंचेंगी राज्यपाल

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्यपाल अनुसुईया उईके 20 फरवरी की रात सड़क मार्ग से कांकेर पहुंच जाएंगीं। रात्रि विश्राम के बाद 21 फरवरी को सुबह बजे सर्किट हाउस से रवाना होकर सुबह 11 बजे टेमरूपानी पहुंच जाएंगी। यहां एक घंटा रहेंगी तथा दोपहर 12 बजे वापस रायपुर के लिए रवाना हो जाएंगी।

error: Content is protected !!