Rath Saptami 2021 Date Importance Puja Vidhi Rituals- रथ सप्तमी पर सात जन्मों के पापों को दूर करने के लिए रथ पर बैठे सूर्यदेव की पूजा की जाती है. इस दिन को अचला सप्तमी और भानु सप्तमी भी कहा जाता है
Rituals- रथ सप्तमी आज 18 फरवरी से शुरु होकर 19 फरवरी तक है. हिंदू पंचांग के अनुसार सप्तमी तिथि 18 फरवरी 2021 प्रातः 8:20 से शुरु होकर 19 फरवरी 10:59 तक है. सनातन परंपरा में, रथ सप्तमी को सूर्य उपासना के महापर्व के रुप में मनाया जाता है. रथ सप्तमी को सूर्य जयंती, माघ सप्तमी अथवा माघ जयंती के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि रथ सप्तमी के दिन ही, सूर्य देव ने अपने तेज और गर्माहट से समस्त ब्रह्मांड को आलोकित कर दिया था. सामान्यतः बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दो दिन पश्चात ही, यानी शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है.
रथ सप्तमी का महत्व
मान्यता अनुसार, रथ सप्तमी के दिन दान, पुण्य करने से स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है. बीमारियों का नाश होता है और पापों से मुक्ति मिलती है. भौगोलिक तौर पर देखें तो, रथ सप्तमी के दिन से ही गर्मियों के मौसम के आगमन का संकेत मिलने लगता है. कृषि वर्ग के लिए तो, रथ सप्तमी नई फसल के मौसम का प्रारंभ भी होता है.
रथ सप्तमी अनुष्ठान
भगवान सूर्य को समर्पित कई मंदिरों में, रथ सप्तमी के मौके पर विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं. इनमें तिरुपति बालाजी का मंदिर और मल्लिकार्जुन मंदिर भी शामिल हैं. इस दौरान दक्षिण भारत के मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा-पाठ के साथ ही, महोत्सव भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बड़ी तादाद में सूर्य भक्त शामिल होते हैं.
कैसे करें रथ सप्तमी अनुष्ठान
● रथ सप्तमी की पूर्व संध्या पर, अरुणोदय के वक्त जगना और स्नान करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है. पापों और कुकर्मों का नाश होता है और दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होती है. इस वजह से रथ सप्तमी को, आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है.
● इस स्नान के उपरांत नमस्कार की मुद्रा में, भगवान सूर्य पर कलश के माध्यम से जल का अर्ध्य दिया जाता है. संभव हो तो पवित्र नदियों के जल से भगवान सूर्य को अर्ध्य देना चाहिए. यह अनुष्ठान तभी पूर्ण माना जाता है, जब भगवान सूर्य के विभिन्न नामों का स्मरण करते हुए, कम से कम 12 बार इस विधान को किया जाए.
● भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के उपरांत, घी से भरे मिट्टी के दीये को प्रज्जवलित करना रथ सप्तमी पूजा कहलाता है.
● इस अवसर पर गायत्री मंत्र के साथ ही, सूर्य सहस्त्रनाम मंत्र का पूरे दिन जाप करने से भी भाग्य परिवर्तन होना शुरु हो जाता है.