जांजगीर-चाम्पा. एक ही परिवार के दो सदस्यों के स्टेट बैंक के खाते से किसी व्यक्ति ने गलत तरीके से राशि का आहरण कर लिया। खाताधारक की शिकायत के बाद भी बैंक प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया। अपने हक के लिए दोनों खाताधारकों ने जिला उपभोक्ता आयोग की शरण ली, जहाँ उन्हें न्याय मिला। बैंक प्रबंधन को अब दोनों खाताधारकों को ब्याज समेत आहरित राशि का भुगतान करना होगा।
इस सम्बंध में मिली जानकारी के अनुसार स्टेट बैंक सक्ती शाखा में बाराद्वार निवासी तुलेश्वर बरेठ और उसकी माँ पुनिबाई के नाम का संयुक्त खाता है। इसी तरह हेमलता बरेठ और उसकी माँ पुनिबाई के नाम पर भी एक अन्य खाता खुलवाया गया था। दोनों खातों से 24 जुलाई 2019 को किसी ने ऑन लाइन बैंकिंग के माध्यम से राशि का आहरण कर लिया। तुलेश्वर के ज्वाइंट एकाउंट से 64 हजार रुपए तो हेमलता के संयुक्त खाते से 79 हजार रुपए आहरित किये गए। जब खाताधारकों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने बैंक पहुँचकर शिकायत की, लेकिन बैंक प्रबंधन ने इसे हल्के में लिया। खाताधारकों के मोबाइल में एसएमएस एलर्ट की सुविधा और एसएमएस मिलने के बाद देर से जानकारी देने का हवाला देकर बैंक प्रबंधन ने अपना पल्ला झाड़ लिया।
इस मामले में खास बात यह रही कि दोनों ही खातों में खाताधारकों के लिखित आवेदन के बिना ही किसी अन्य व्यक्ति ने हस्ताक्षर परिवर्तन कराकर नेट बैंकिंग सेवा चालू कराकर राशि का आहरण किया। इसी बात को बैंक प्रबंधन की लापरवाही मानते हुए जिला उपभोक्ता आयोग ने बैंक प्रबंधन को सेवा में कमी का दोषी पाया।
जिला उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह और मंजूलता राठौर ने साक्ष्यों और दस्तावेजों के आधार पर बैंक प्रबंधन को दोषी करार देते हुए अपना फैसला दिया। बैंक प्रबंधन द्वारा अब दोनों खाताधारकों को आहरित राशि 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज समेत भुगतान करना होगा। साथ ही 15-15 हजार रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति और 2-2 हजार रुपए वाद व्यय देने का भी आदेश पारित किया गया है।