मिसाल : हादसे में खोया एक पैर, आज कई मैराथन दौड़ चुका है शख्स, दौड़ने का ऐसा जुनून कि सबको पीछे छोड़ा…

एक ही लाइफ है, सबकुछ इसमें ही करना होता है। बुरा दौर आता है, कई लोग हार मान बैठते हैं, कई मजबूत होकर निकलते हैं। उन्हें मालूम होता है कि ये जिंदगी का पाठ है। इसमें हताश होकर बैठने वाली कोई भी बात नहीं। कई लोगों ने इसी मामले में मिसालें पेश की हैं। उनके साथ जीवन में ऐसे हादसे हुए जिनकी कल्पना करके ही इंसान जीने की उम्मीद छोड़ देता है लेकिन उन्होंने जीवन की लौ को जलाए रखा और शोला बनकर निखरे। ऐसे ही एक शख्स हैं हैदराबाद के रहने वाले Aliga Prasanna, वो अपना एक पैर हादसे में खो चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके वो मैराथन दौड़ते हैं।



साल 2013 में हुआ था यह हादसा

28 वर्षीय प्रासना के साथ साल 2013 में यह हादसा हुआ था। इस हादसे में वो अपना एक पैर खो चुके हैं। वो अपने दोस्तों के साथ डीनर पर जा रहे थे, जब उनके साथ यह हादसा हुआ। इस हादसे में उनके दोस्तों को भी चोटें आई थी। उनके भी हाथ और सिर पर गंभीर चोटें लगी थी। जबकि प्रासना ने अपना एक पैर इस दुर्घटना में खो दिया।

 

लोगों ने नहीं की उनकी मदद

उन्होंने यह भी बताया जब उनके साथ यह हादसा हुआ था तो लोगों ने भी उनकी मदद नहीं की थी। लोग उनके पास से निकले जा रहे थे लेकिन कोई उन्हें और उनके दोस्तों को अस्पताल ले जाने के लिए आगे नहीं आया। इस बात ने उन्हें काफी निराश किया था। वो बताते हैं कि इस हादसे में उनके बचने के चांस महज 20 प्रतिशत थे। इसके बाद डॉक्टर्स को उनका पैर काटना पड़ा।

हो गए थे परेशान, फिर करने लगे वर्कआउट

वो पेशे से वेडिंग फोटोग्राफर हैं। इस दुर्घटना के बाद वो काफी परेशान रहने लगे थे। वो खुद को एक ऐसे बच्चे की तरह से समझने लगे थे, जिसे हर पल किसी ना किसी मदद की जरूरत होती है। वो डिप्रेशन में थे। उनके अंकल ने उन्हें हिम्मत दी और कहा कि उन्हें जिम ज्वाइन करनी चाहिए और वर्कआउट पर ध्यान देना चाहिए। छह महीनों बाद नकली पैर लगाकर वो जिम जाने लगे। फिर उन्होंने वर्कआउट करना शुरू कर दिया।

जब मैराथन दौड़े तो सबने ठोकी तालियां

इसी दौरान उन्हें पहली मैराथन का लिए इनविटेशन मिला था। जब उन्होंने इस मैराथन को पूरा किया था तो वहां खड़े लोगों ने उनकी हौसलाअफजाई की थी। वो कहते हैं, ‘मेरे परिवार ने मेरा सपोर्ट किया। ऑडियंस ने मुझे हिम्मत दी, मैं बहुत खुश था कि मैंने यह मैराथन पूरी की।’

खुद को देते रहे नए से नया चैलेंज

इस मैराथन के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा बल्कि उन्होंने 10 किलोमीटर की मैराथन के लिए तैयारी करनी शुरू कर दी। फिर उन्हें यह दौड़ने का मौका मिला तो उन्होंने इसे डेढ़ घंटे में पूरा कर सबको बता दिया कि वो हार मानकर बैठने वालों में से नहीं बल्कि वो एक फाइटर हैं। इसके बाद उन्होंने 21 किलोमीटर की मैराथन भी पूरी की। वो सिर्फ मैराथन ही नहीं, बल्कि उन्हों घुड़सवारी भी बहुत पसंद हैं। लोगों को भी मैराथन में भाग लेने के लिए वो प्रेरित करते रहते हैं। उनका मानना है कि इससे तनाव दूर होता है। सच में प्रासना एक फाइटर हैं.

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