मोदीनगर के दयावती मोदी पब्लिक स्कूल बस में सवार दस वर्षीय छात्र अनुराग भारद्वाज की मौत के रहस्य का पर्दा जांच के बाद उठेगा। परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया है जबकि स्कूल प्रबंधन घटना को हादसा बता रहा है। अनुराग अपनी बुआ की भी जान था, वह उसे बेटे की तरह मानती थीं क्योंकि उनके कोई बेटा नहीं है। इस घटना के बाद से पूरे भारद्वाज परिवार में शोक का माहौल है। वहीं अनुराग को अपने सामने दम तोड़ता देखने वाले बच्चों का अब भी बुरा हाल है। वह इस दर्दनाक हादसे के मंजर को भुला ही नहीं पा रहे हैं।
आगे पढ़िए जब अनुराग के साथ बस में यह हादसा हुआ तो साथी बच्चों का कैसा हाल था और ये सबकुछ देखकर उनकी मनःस्थिति पर कैसा असर पड़ा है….
घटना के बाद भी नहीं की स्कूल की छुट्टी
छात्र अनुराग की मौत के बाद भी दयावती मोदी पब्लिक स्कूल में शिक्षण कार्य चलता रहा। स्कूल की छुट्टी नहीं की गई। इसे लेकर अभिभावकों ने रोष जताया तथा प्रबंधन को संवेदनहीन बताया।
हादसे के बाद कई बच्चे हुए बेहोश, पड़ोस में बैठे बच्चे को लगा सदमा
स्कूल बस में छात्र अनुराग की मौत के प्रत्यक्षदर्शी अन्य छात्र सदमे में आ गए। कई बच्चे बेहोश हो गए। बस के अंदर बिखरा खून घटना की भयावहता बयां कर रहा था। छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर घटना के बारे में बताया। एक छात्र को घटना के बाद दस्त शुरू हो गई।
पुलिस ने बस सीज की
घटना के बाद बस की फिटनेस को लेकर भी सवाल उठने लगे। आरोप लगाया कि बस की फिटनेस खत्म हो चुकी है। पुलिस ने बस को सीज कर दिया है। बस को टेक्निकल मुआयने के लिए भेजा जाएगा।
शिकायत पर कार्रवाई की होती तो शायद नहीं होता हादसा
मृतक के परिजनों का आरोप है कि दयावती मोदी स्कूल में हर दर्जे की लापरवाही है। यहां बसों में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए जाते हैं। बच्चों को सीट पर बैठने के लिए दौड़ लगानी पड़ती है। मृतक छात्र अनुराग की मां नेहा ने बताया कि वह इसकी शिकायत कई बार स्कूल प्रबंधन से कर चुकी थीं।
उन्होंने बताया कि बीते एक अप्रैल को भी इसकी शिकायत स्कूल में जाकर की गई थी, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। बस में बच्चे ज्यादा भरे होने के कारण बुधवार सुबह भी स्कूल बस चालक ओमवीर से कहासुनी हो गई थी। बिलखते हुए नेहा ने बताया कि अगर प्रबंधन उनकी शिकायत सुन लेता तो शायद आज उनका बेटा जिंदा होता।