Politics : छत्तीसगढ़ में जिसने जिले बनाए, उसे मिला फायदा, जानिए… जिलों का पूरा गणित, कब और कैसे बने छग में जिले…

राज्य गठन के बाद से छत्तीसगढ़ में जिलों को लेकर जमकर सियासत हुई है। चाहे बीजेपी की सरकार रही हो या कांग्रेस की । दोनों ही दलों ने नए-नए जिलों को लेकर जमकर राजनीति की। जिलों को लेकर प्रदेश की राजनीति गरमाई रही। जिलों को लेकर लोगों को लुभाने सत्ता के गलियारे में चुनाव के समय जमकर चुनावी दांव भी खेला गया, जो कारगर भी रहा। आज वर्तमान में 3 सितंबर 2022 तक कुल 31 जिले हो गए हैं। इससे पहले राज्य में 28 जिले थे। जब साल 2000 में एमपी से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना था तब यहां 16 जिले थे।



अब यह लगभग दोगुना हो गए हैं। 22 साल में 15 नए जिलों का निर्माण हुआ। सबसे पहले 2 जिले बने थे। बस्तर में एक नारायणपुर दूसरा बीजापुर। इसके बाद प्रदेश में 18 जिले हो गए थे। इन दो जिलों का गठन डॉ. रमन सिंह के पहले कार्यकाल में हुआ था। इनका गठन साल 2008 के चुनावों से एक वर्ष पूर्व 2007 में किया गया था। डॉ. रमन 2008 जीत गए। इसके बाद अगली बार एक साथ प्रदेश में 9 जिले बनाए गए। यह अपने आपमें बड़ी बात थी।

लेकिन ये इस बार चुनावों से 2 साल पहले यानी 2011 में घोषित किए गए जो 2012 में अस्तित्व में आए। यानी 2013 में फिर डॉ. रमन सिंह जीते। राज्य में 9 और जिले बनने के बाद 2013 तक 27 जिले हो चुके थे। अब चुनाव थे 2018 के। लेकिन इस बार कोई जिले नहीं बनाए गए। 2018 में डॉ. रमन सिंह 15 सालों की अपनी सल्तनत गंवा बैठे.

इसे भी पढ़े -  Champa Attack Arrest : धारदार हथियार से हमला कर फरार आरोपी को चाम्पा पुलिस ने गिरफ्तार किया

राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2018 में आते ही 2019 में पहले तो कई सारी तहसीलों का ऐलान किया, फिर 2020 में मरवाही उपचुनाव के पहले वर्षों से लंबित पेंड्रा जिले की मांग को मान लिया। जिलों की संख्या 27 से बढ़कर 28 हो गई। मरवाही उपचुनाव कांग्रेस भारी बहुमत से जीत गई।

यह सीट अजीत जोगी ने अपनी नई पार्टी के हल चलाते किसान के चिन्ह के साथ 45 हजार से अधिक मतों से इकतरफा जीती थी। जोगी के राजनीतिक शत्रु भूपेश ने इस किलो को भी ढहा दिया। यह जोगी और जूनियर जोगी की राजनीति के ताबूत में अंतिम कील सिद्ध हुआ।

उपचुनाव में चला दांव

अब बारी आई खैरागढ़ के उपचुनाव की जो संयोग से जोगी की पार्टी के ही देवव्रत सिंह के निधन से खाली हुई थी। हालांकि देवव्रत सिंह ने मरवाही उपचुनाव में अपने दूसरे जोगी पार्टी के साथ प्रमोद शर्मा के साथ मिलकर कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया था। इस लिहाज से देखें तो यह सीट अर्धकांग्रेसी हो चुकी थी। उपचुनाव में बघेल ने दांव चला। खैरागढ़ को जिला बनाने की बात कही। उपचुना में पर्चियां बंटी। बैनर लगे। जिस दिन मतदान खत्म उसी दिन जिला बनाने का वादा किया गया।

इसे भी पढ़े -  JanjgirChampa Arrest : 2 सौ 10 ग्राम गांजा के साथ आरोपी को नवागढ़ पुलिस ने किया गिरफ्तार, NDPS एक्ट के तहत पुलिस ने की कार्रवाई

नतीजे के रूप में खैरागढ़ जो कि 2018 में कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेलने वाली सीट थी। जहां भाजपा प्रदेशभर में भारी अंतराल से हार रही थी, वहां खैरागढ़ प्रदेशभर की सबसे कम अंतराल से हारी सीट बनी थी, उसे बघेल ने जिला के दांव से जीत लिया।

यह संयोग है या चुनावी योग –

संक्षेप में अगर कहें तो यह संयोग है या चुनावी योग। परंतु जिसने भी जिले बनाए हैं उसे फायदा ही फायदा हुआ है। 2007 का असर 2008 में हुआ। 2012 का असर 2013 में हुआ और 2017 या 2018 में जब ऐसा कोई जिला नहीं बना तो 2018 में डॉ. रमन जीत नहीं सके।

वहीं पेंड्रा को जिला बनाया तो मरवाही सीट कांग्रेस ने जीत ली। खैरागढ़ को जिला बनाया तो यह भी जीत ली। वैसे तो कांग्रेस ने 2018 के बाद 4 उपचुनाव जीते हैं, इनमें से एक दीपक बैज की सीट थी, जो बस्तर से सांसद बन गए। बैज की सीट कांग्रेस की ही थी तो इसे बरकरार रखना कहेंगे।

वहीं सीट भाजपा के इकलौते बस्तरिया विधायक भीमा मंडावी की थी, जिनका नक्सल हमले में निधन हो गया था। इसे देवती कर्मा ने जीत लिया। यानी कांग्रेस ने एक सीट को बरकरार रखा और बाकी 3 सीटों को जीता। इनमें से 2 सीटें जोगी कांग्रेस से जीती और एक भाजपा से।

इसे भी पढ़े -  JanjgirChampa Big News : बिर्रा थाना प्रभारी हटाए गए, इन्हें मिली जिम्मेदारी, SP ने आदेश जारी किया...

अब बघेल ने सितंबर में खैरागढ़-गंडई-मानपुर, बिलाईगढ़-सारंगढ़ और मनेंद्रगढ़ को जिला बना दिया है। अब यह देखना होगा कि क्या बघेल 2023 के चुनावों से पहले छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ जिले बनाकर इस संयोग या मिथ को बनाए रखेंगे या कि तोड़ देंगे।

संभावित जिले –

बहरहाल, छत्तीसगढ़ के छत्तीस जिलों में कौन-कौन शुमार हैं। इनमें एक वाड्रफनगर है जो बलरामपुर से अलग होकर बनेगा। दूसरा पत्थलगांव है जो जशपुर से टूटेगा। तीसरा अंतागढ़ है जो कांग्रेस से टूटेगा और यहीं चौथा भानुप्रतापपुर है जो कांकेर से हटकर बनेगा। पांचवा जिला दल्लीराजहरा हो सकता है, जिसकी अरसे से मांग चल रही है।

error: Content is protected !!