EPFO : पीएफ का ब्‍याज देरी से मिलने पर क्‍या होता है नुकसान? क्‍यों महीनों बाद आता है पैसा और क्‍या है इसका विकल्‍प?. पढ़िए..

नई दिल्‍ली. कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (EPFO) के सेंट्रल ट्रस्‍ट ने मार्च में ही वित्‍तवर्ष 2021-22 के लिए पीएफ पर ब्‍याज निर्धारित कर दिया था, लेकिन खाताधारकों को अभी तक इसका भुगतान नहीं हो सका है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्‍या पीएफ खाते में ब्‍याज का पैसा देरी से आने पर कर्मचारी को नुकसान होता है.



 

 

खबर के मुताबिक, साल 1952 में स्‍थापित EPFO दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन है. साल 2021 में इसके पास प्रबंधन योग्‍य कुल संपत्ति 15.7 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2019-20 की जीडीपी का 7.7 फीसदी था. ईपीएफओ के पास करीब 6.9 करोड़ मेंबर्स हैं, जो 71 लाख लोगों को पेंशन देता है. इतना बड़ा संगठन होने के बावजूद पीएफ खाताधारकों को उनके ब्‍याज का पैसा समय पर नहीं मिल पाता है.

 

 

 

बीते कई सालों से ईपीएफओ बोर्ड की ओर से ब्‍याज दरें निर्धारित किए जाने के बावजूद खाताधारकों को काफी देर से पैसा मिलता है. अगर 2020-21 के चक्र को देखें तो मार्च में ही पीएफ पर 8.5 फीसदी का ब्‍याज तय किया गया था, जबकि ईपीएफओ ने अक्‍तूबर में इसे नोटिफाई किया और दिसंबर, 2021 में ब्‍याज का पैसा अंशधारकों के खाते में डाला गया. ऐसे में देखा जाए तो मार्च से दिसंबर तक का गैप 9 महीने का है, जो काफी ज्‍यादा है. इस साल भी मार्च में ही 2021-22 के लिए 8.10 फीसदी ब्‍याज देना तय हो गया है, जबकि जुलाई तक इसके खाते में आने की चर्चा थी, यह समय भी चार महीने लेट है.

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क्‍यों होती है ब्‍याज भुगतान में देरी
इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि ईपीएफओ ग्‍लोबल नियमों का पालन नहीं करता और स्‍थापना के 70 साल बाद भी कागजी ढर्रे पर काम करता है. दूसरा यह कि ब्‍याज दरें तय हो जाने के बाद ईपीएफओ और श्रम मंत्रालय को वित्‍त मंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ती है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि ईपीएफओ के पास अपने अंशधारकों को ब्‍याज देने के लिए फंड ही नहीं रहता है, लिहाजा उसे वित्‍त मंत्रालय से पैसे लेने पड़ते हैं.

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समझें नुकसान का गणित
मान लीजिए किसी ईपीएफओ खाताधारक को मार्च, 2022 में 2,000 रुपये के ब्‍याज भुगतान की घोषणा की गई और उसके खाते में ब्‍याज का पैसा जुलाई, 2022 में आया. ऐसे में टाइम वैल्‍यू को देखें तो उस खाताधारक को ब्‍याज का पैसा चार महीने बाद मिला और इस दौरान वह अपने ही पैसों का इस्‍तेमाल नहीं कर सका. अगर यही चीज साल दर साल दोहराई जाए तो रिटायरमेंट तक कर्मचारी के फंड पर अच्‍छा खासा असर दिखेगा. इसके अलावा सरकार को भी इसका नुकसान है, क्‍योंकि नई ब्‍याज दर के मुताबिक भुगतान होने से पहले अगर कोई कर्मचारी अपने पीएफ का सेटलमेंट करता है तो सरकार को पुरानी ब्‍याज दर के अनुसार भुगतान करना होगा.

 

 

 

क्‍या है इसका विकल्‍प
एक्‍सपर्ट का कहना है कि ब्‍याज दरों के भुगतान में देरी से निजात पाने के लिए फिलहाल फ्रैक्‍शन डिपॉजिट का तरीका अपनाया जा सकता है. इसका मतलब है कि जैसे ही ब्‍याज दरें तय की जाएं उसमें से 60 से 65 फीसदी राशि का भुगतान कर दिया जाए और शेष राशि को वित्‍त मंत्रालय की मंजूरी के बाद खाते में डाला जाए. ईपीएफओ ने हाल के वर्षों में अपनी सेवाओं में काफी बदलाव किया है, लेकिन ब्‍याज भुगतान के मामले में अब भी पुराना ढर्रा ही अपनाया जा रहा है.

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