नई दिल्ली. सचिन तेंदुलकर। क्रिकेट का भगवान। मास्टर ब्लास्टर ने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट में कितनी उपलब्धियां हासिल की हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। क्रिकेट के खेल को बैटिंग की कला सिखाने में सबसे बड़ा योगदान सचिन का रहा है। 16 साल की उम्र में क्रिकेट करियर की शुरुआत करने से इस खेल में भगवान की उपाधि हासिल करने तक की राह उतार-चढ़ाव से भरी रही।
हालांकि, लिटिल मास्टर ने 16 साल की उम्र में ही अपने जज्बे और हार ना मानने का अनूठा उदाहरण वर्ल्ड क्रिकेट के सामने पेश कर दिया था। पाकिस्तान की धरती पर सचिन की उस दिन बल्लेबाजी देखकर खुद पड़ोसी मुल्क के खूंखार तेज गेंदबाज उनके मुरीद हो गए थे। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कैसे 14 दिसंबर 1989 को पहली बार विश्व क्रिकेट ने देखी थी सचिन की क्लास बैटिंग।
कहर बरपा रहे थे पाकिस्तानी गेंदबाज
सियालकोट के मैदान पर भारत और पाकिस्तान (IND vs PAK) के बीच चौथा टेस्ट मैच खेला जा रहा था। इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनिस की तिकड़ी अपनी रफ्तार से कहर बरपा रही थी। भारतीय बल्लेबाजों के होश उड़े हुए थे और 22 के स्कोर पर ही चार बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके थे। हरी घास को देखकर मानो पड़ोसी मुल्क के गेंदबाजों में अलग तरह की जान सी आ गई थी। चार विकेट गिरने के बाद बल्लेबाजी करने उतरते हैं 16 साल के सचिन तेंदुलकर।
नाक पर लगी गेंद और बहने लगी खून की धारा
सचिन तेंदुलकर का साथ निभाने के लिए दूसरे छोर पर नवजोत सिद्धू खड़े थे। 16 साल के सचिन के कान के पास से वकार यूनिस की आग उगलती गेंदें सीटी बजाते हुए निकल रही थी। सचिन घबराए हुए थे और चेहरे के हाव-भाव पूरी कहानी बयां कर रहे थे। इस बीच, वकार की एक उछाल लेती हुई गेंद सचिन की नाक पर लगती है और 16 साल का भारतीय बल्लेबाज जमीन पर चित हो जाता है।
पाकिस्तानी खिलाड़ी सचिन का हाल जानने उनकी तरफ दौड़ते हैं। नाक से खून की धारा बह रही थी और ऐसा लगा रहा था कि सचिन को तुरंत मैदान से बाहर ले जाना पड़ेगा। नवजोत सिंह सिद्धू बताते हैं कि तभी उनको दूसरे छोर से सचिन के मुंह से निकले शब्द सुनाए देते हैं। वो शब्द थे कि ‘मैं खेलेगा’।
सचिन के बल्ले से निकली थी यादगार पारी
खून से लथपथ होने के बावजूद सचिन ने पाकिस्तान के घर में उस दिन ऐसी पारी खेली, जिसका जिक्र आजतक किया जाता है। पाकिस्तान के मजूबत बॉलिंग अटैक के सामने सचिन डटकर खड़े रहे और उनके बल्ले से 57 रन की जानदार पारी निकली। यह वो पारी थी, जिसने सचिन को वर्ल्ड क्रिकेट में पहचान दिलाने का काम किया था। इसके बाद लिटिल मास्टर ने 22 गज की पिच पर आने वाले सालों में जो किया, वो साल इतिहास बन गया।