दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी को क्यों चढ़ाये जाते हैं खील और बताशे जानिए इसके पीछे की वजह..

हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार दिवाली का पर्व इस साल 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को पूरे देशभर में मनाया जा रहा है और यह पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है।



 

 

 

हिन्दू शास्त्र के अनुसार, दिवाली के दिन भगवान गणेश और धन की देवी मां लक्ष्मी का पूजा का विधान है। कहते हैं कि इस दिन यदि लक्ष्मी-गणेश प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाएं तो घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। इसलिए लोग हर वो कोशिश करते हैं जिससे मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को प्रसन्न किया जा सके।

 

 

 

दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश को खील-बताशे का भोग लगाया जाता है जो कि बहुत ही शुभ माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर लक्ष्मी-गणेश को खील-बताशे का ही भोग क्यों लगाया जाता है? आइए जानते है इस बारे में-

 

 

 

आखिर लक्ष्मी-गणेश को खील-बताशे का ही भोग क्यों लगाया जाता है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्‍मी को सफेद रंग की चीजों का भोग लगाया जाता है। खील-बताशे दोनों ही सफेद होते हैं। इसलिए ये मां को प्रिय हैं और इससे वह प्रसन्न होती हैं।

मां लक्ष्‍मी को अर्पित की जाने वाली खील धान से बनती है, जो चावल का ही एक रूप हैं। पुराने समय में मां लक्ष्मी को सबसे पहले इस फसल का भोग लगाया जाता था।

दिवाली पर शुक्रदेव को प्रसन्न करने के लिए भी ये भोग लगाया जाता हैं। खील-बताशे को शुद्ध माना गया हैं। इसलिए देवी को ये भोग लगाना शुभ माना हैं।

 

 

खील और बताशे के अलावा ये प्रसाद भी चढ़ाएं जाते हैं

ज्योतिषयों के मुताबिक, दिवाली की पूजा में लक्ष्मी-गणेश जी को अलग प्रकार की मिठाइयां जैसे लड्डू, पेड़ा, बर्फी,आदि भी चढ़ाई जाती हैं। ये मिठाईयां माता लक्ष्मी और गणेश जी को प्रसन्न करने और घर में मिठास लाने के लिए चढ़ाई जाती हैं। इसके अलावा फल भी माता लक्ष्मी को अर्पित किए जाते हैं। सेब, अंगूर, केला आदि फल माता लक्ष्मी को प्रिय माने जाते हैं। नारियल को सभी पूजा कार्यों में शुभ माना जाता है, इसलिए माता लक्ष्मी और गणेश जी को दिवाली के दिन पूजा में नारियल भी चढ़ाया जाता हैं।

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