जांजगीर-चाम्पा. पॉलिसी होल्डर की मृत्यु के बाद दुर्घटना बीमा की राशि का भुगतान नहीं करना इंश्योरेंस कंपनी को महंगा पड़ गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने इंश्योरेंस कंपनी को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए अपना फैसला दिया है। अब इंश्योरेंस कंपनी द्वारा पीड़ित पक्ष को ब्याज समेत बीमा की राशि देनी होगी। साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति राशि और वाद व्यय भी देना होगा।
नवागढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम खपराडीह निवासी रामगिलास बंजारे ने एक बाइक खरीदी थी और टाटा ए आई जी इंश्योरेंस कंपनी बिलासपुर से बीमा कराया था। बीमा 27 नवम्बर 2019 से 26 नवम्बर 2024 तक की अवधि के लिए थी। पॉलिसी में बीमा कम्पनी द्वारा 3 हजार 948 रुपए का प्रीमियम लेकर 15 लाख रुपए का एक्सिडेंटल बीमा किया गया। बीमा कम्पनी ने पॉलिसी धारक रामगिलास बंजारे के नाम पर्सनल एक्सीडेंट पॉलिसी 390 रुपए प्रीमियम लेकर प्रदान की गई।
बीमा अवधि के दौरान 29 फरवरी 2020 को रामगिलास बंजारे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। पॉलिसी धारक स्व. रामगिलास बंजारे की पत्नी पिली बाई ने पति की मौत के बाद इंश्योरेंस कंपनी से दावा राशि की मांग की, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी की ओर से आनाकानी की गई।
आखिरकार पिली बाई ने जिला उपभोक्ता आयोग की शरण ली। उसने 24 अगस्त 2020 को जिला उपभोक्ता आयोग जांजगीर चाम्पा में परिवाद प्रस्तुत किया। जिला उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह और मंजूलता राठौर ने प्रकरण की सुनवाई की। वादी और परिवादी दोनो पक्षों को सुना गया और दस्तावेजों का परीक्षण किया गया।
मामले में उपभोक्ता आयोग ने इंश्योरेंस कंपनी को सेवा में कमी का दोषी पाते हुए मृत्यु दावा राशि 15 लाख रुपए परिवाद प्रस्तुति दिनांक से 6 प्रतिशत ब्याज समेत 45 दिन के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही इंश्योरेंस कंपनी द्वारा परिवादी को 5 हजार रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति राशि और 2 हजार रुपए वाद व्यय के रूप में देने का आदेश जारी किया गया है।