उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद अब एक के बाद एक ऐसे आदेश जारी हो रहे हैं जिनको लेकर बवाल मच रहा है। कुछ दिन पहले सचिवालय प्रशासन ने कई मंत्रियों के निजी स्टाफ के तौर पर महिलाओं की नियुक्ति कर दी थी जिसको लेकर कई मंत्रियों ने विरोध किया था। अभी यह बवाल थमा भी नहीं था कि दूसरे आदेश ने मंत्रियों की फिर नींद उड़ा दी है। अबकी बार भी मामला स्टाफ का ही है। सरकार ने फरमान जारी किया है कि पुराने मंत्रियों को पुराने स्टाफ की बजाए नया स्टाफ दिया जाएगा। इसकी जद में डिप्टी सीएम से लेकर कई मंत्री आए हैं। अब इसका भी अंदरखाने विरोध हो रहा है। मामले लेकर अभी उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
दरअसल इस बार योगी सरकार की नई व्यवस्था में स्टाफ का चुनाव डिजिटल तरीके से होगा और मंत्रियों को उम्मीदवारों की लिस्ट में से अपना स्टाफ चुनना होगा। खास बात है कि यह सूची कम्प्यूटर लॉटरी के जरिए तैयार की गई है। अगर कोई मंत्री खास स्टाफ रखना चाहता है तो फिर उन्हें मुख्यमंत्री से परमिशन लेनी होगी। हालांकि सूत्रों के अनुसार, नई कैबिनेट में मंत्रियों को कोई पुराना स्टाफ नहीं दिए जाने की सिफारिश के विपरीत, कई पुराने मंत्रियों ने अपने पिछले कर्मचारियों को सुचारू कामकाज के लिए उनके साथ जोड़ने आग्रह किया है। सूत्रों ने कहा कि उनके अनुरोध को सीएम कार्यालय को भेज दिया गया है।
योगी कैबिनेट 2.0 के नवनियुक्त मंत्रियों को कंप्यूटर ड्रॉ के माध्यम से व्यक्तिगत कर्मचारियों को आवंटित करने का नया तरीका उस समय अवरुद्ध हो गया जब कई मंत्रियों ने सचिवालय प्रशासन विभाग से महिला कर्मचारियों के साथ काम करने की व्यावहारिक बाधाओं का हवाला देते हुए पुरुषों को अपने निजी सचिव और सहायक निजी सचिव के रूप में नियुक्त करने का अनुरोध किया। विशेष रूप से, सचिवालय प्रशासन ने मंगलवार और बुधवार को पदभार ग्रहण करने वाले मंत्रियों को आवंटित करने के लिए निजी कर्मचारियों में महिलाओं की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
हालांकि, सचिवालय प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव अमृत अभिजात ने पुष्टि की कुछ मंत्रियों ने निजी कर्मचारियों के रूप में महिला कर्मचारियों की तैनाती पर आपत्ति व्यक्त की थी। उन्होंने दावा किया कि जिन लोगों को समस्या होगी उन्हें विकल्प दिया जाएगा। यहां तक कि महिला कर्मचारियों ने भी लंबे समय तक काम करने, बाहरी यात्रा करने और जनता के साथ व्यवहार करने जैसी चुनौतियों के लिए मंत्रियों के साथ निजी स्टाफ के रूप में काम करने में अपनी सीमाएं व्यक्त की थीं।
सचिवालय प्रशासन ने CM के निर्देश पर कार्रवाई पर अमल करते हुए काम शुरू कर दिया था। दरअसल सभी कैबिनेट मंत्री को 1 PS और 2 APS मिलते हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों को भी 1 PS और 2 APS मिलते हैं जबकि राज्य मंत्रियों को 1 PS और 1 APS मिलते हैं। लेकिन इसमें अबकी बार एक महिला का होना जरूरी कर दिया गया है। दरअसल सचिवालय एसोसिएशन के अनुसार, विभिन्न संवर्गों में लगभग 2,500 कर्मचारी जैसे समीक्षा अधिकारी, निजी सचिव और उनके सहायक राज्य सचिवालय में काम करते हैं। इनमें से केवल 15% महिलाएं हैं। अब तक महिला कर्मचारियों ने नौकरशाहों के साथ काम किया है लेकिन राजनेताओं के साथ नहीं।