छवि हमारे यहां अच्छी नहीं है. यही माना जाता है कि सरकारी स्कूल में नौकरी करने वाले टीचर बच्चों को पढ़ाने में नहीं बल्कि अपनी नौकरी का फ़ायदा उठाने में विश्वास करते हैं. माता-पिता अपने बच्चों का एडमिशन भी सरकारी स्कूल में करवाने से कतराते हैं. सरकारी स्कूल के शिक्षकों की जो छवि हमारे सामने उसे पूरी तरह से बदल कर रख देगी तमिलनाडु की एक टीचर की कहानी.
13 साल में एक भी छुट्टी नहीं ली
एक रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के आनंद गवर्मेंट एडेड प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वाली एक टीचर ने पिछले 13 सालों से एक भी छुट्टी नहीं ली है. मेडिकल लीव, कैज़ुअल लीव, अर्न्ड लीव, इस टीचर की सभी छुट्टियां जस की तस पड़ी हैं. एस सरासू (S Sarasu) नामक ये टीचर सुंदरीपलयम नामक गांव में रहती है. 2004 से सरासू इसी स्कूल में पढ़ा रही हैं.
छात्रों के लिए उदाहरण बनना चाहती है टीचर
सरासू ने बताया कि 18 सालों की सर्विस में उन्होंने एक भी मेडिकल लीव नहीं ली. इसके अलावा बीते 13 सालों में उन्होंने एक भी छुट्टी नहीं ली है. टीचर सरासू बच्चों के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहती हैं. स्कूल से पहले या स्कूल के बाद वो निजी काम निपटाती हैं. टीचर को देखकर कई बच्चों ने भी बेमतल की छुट्टियां लेना छोड़ दिया है. इस टीचर की क्लास में हमेशा फ़ुल अटेंडेस होती है.
सबसे पहले पहुंचती है स्कूल
स्कूल में काम करने वाले अन्य लोगों ने बताया कि टीचर सरासू सबसे पहले स्कूल पहुंचती है और कई बार सबसे आखिर में घर जाती हैं. विभिन्न संस्थाओं से उन्हें 50 के लगभग पुरस्कार मिले हैं. पिछले साल राज्य सरकार ने उन्हें सर्वेश्रेष्ठ शिक्षक के अवॉर्ड से भी नवाज़ा.