Swimming pool: ज्यादा देर तक करते हैं स्विमिंग, तो बढ़ सकती है परेशानी, जानें कैसे

नई दिल्ली। स्विमिंग जिसे फिटनेस के लिए एक अच्छी एक्टिविटी माना जाता है, जो आपके तन और मन दोनो को तंदुरुस्त रखता है। आजकल हर कोई स्विमिंग करना और सिखना चाहता है, खासतौर पर गर्मीयों के मौसम में स्विमिंग करने से कई तरह के फायदें होते हैं। लेकिन स्विमिंग एक ऐसी एक्टिविटी है जो आपके लिए हमेशा काम आ सकती है।



आजकल स्विमिंग करना किसे पसंद नही होता, लेकिन सभी के घरों में स्विमिंग पूल हो ये भी जरूरी नहीं है, ऐसे में एकमात्र उपाय बचता है वो है पब्लिक स्विमिंग पूल का। पब्लिक स्विमिंग आपको कम कीमत पर स्विमिंग का लुत्फ उठाने का तो मौका देती है, लेकिन स्विमिंग क्या आपने कभी सोचा है कि पूल के पानी में तैर रहे इंफेक्शन आपको कई तरह की बीमारियां भी दे सकते हैं।

यदि नहीं सोचा तो अलर्ट हो जाइए। इससे आपको कई तरह की स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो सकती है। यहां हम आपको पब्लिक स्विमिंग पूल में तैरने के साइड इफेक्ट और उनसे बचाव के तरीके बताने वाले है।

लती गर्मियों में लोग फंगल इंफेक्शन के सबसे ज्यादा शिकार बनते है। स्विमिंग करने पर यह और ज्यादा बढ़ जाते हैं। दरअसल हमारे शरीर में जहां ज्यादा नमी रहती है वहां घर्षण होने की वजह से फंगल इंफेक्शन हो जाता है। जैसे बगल, जांघ, ब्रेस्ट के नीचे या पैरों के अंगूठे और अंगुलियों के बीच में। कई बार ऐसा भी होता है कि एक संक्रमित व्यक्ति भी अन्य व्यक्तियों को बीमार कर देता हैं।

यदि स्विमिंग पूल में आप स्विमिंग करते हैं तो आपके बालों में जूं भी हो सकते है। इसका मुख्य कारण बालों लंबे समय तक गीला रहना है। जूं एक इंसान से दूसरे इंसान में भी हो सकती है। जूं न केवल पूल के पानी में जिंदा रहती हैं, बल्कि जब कोई इंसान पानी में उतरता है तो वह उनके बालों को मजबूती से पकड़ लेती हैं।

कई लोगों ऐसा मानना होता है कि क्लोरीन के पानी से जूं मर जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होता है। पूल के पानी में मिले क्लोरीन से जूं नहीं मरती। हालांकि अगर जूं 20 मिनट तक इस पानी में रहें तो बेहोश हो जाती हैं, लेकिन वो बाहर आते ही फिर से चलने लगती हैं।

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार स्विमिंग पूल में अगर क्लोरीन और पीएच लेवल ठीक ना हो तो तैराने वाला बीमार हो सकता है। इसलिए कीटाणुओं को मारने के लिए पीएच लेवल 7.2, 7.6 और 7.8 होना चाहिए। ये मात्रा शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाती है।

इसके अलावा क्लोरीन की सही मात्रा ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को कुछ ही मिनटों में नष्ट कर देती है। जबकि हेपेटाइटिस ए वायरस 16 मिनट में, गिएरडिया 45 मिनट और क्रिप्टोस्पोरिडियम जैसे कीटाणु 10 दिन में नष्ट होते हैं।

स्विमिंग पूल के गंदे पानी की वजह से ई-कोलाई और हेपेटाइटिस ए की परेशानी हो सकती है। एक रिसर्च के अनुसार, अमेरिका में 2014 से 2016 के बीच स्विमिंग पूल और वॉटर पार्क में क्रिप्टोस्पोरिडियम यानी क्रिप्टो से हुई बीमारी दोगुना हो गई थी।

बता दें कि क्रिप्टो एक परजीवी है जो हमारी सांस लेने के तंत्र और आंतों को प्रभावित करता है। इससे लंबे समय तक लूज मोशन भी हो सकता है। दरअसल पूल का गंदा पानी जब हमारे मुंह में जाता है तो दस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।

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