पॉलिसी होल्डर की मौत के बाद बीमा राशि देने से मना करना बीमा कम्पनी को पड़ा महंगा, उपभोक्ता फोरम ने सुनाया फैसला… पढ़िए

जांजगीर-चाम्पा. पॉलिसी होल्डर की मौत के बाद बीमा राशि देने से मना करना बीमा कम्पनी को महंगा पड़ गया. जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कम्पनी को सेवा में कमी का दोषी पाते हुए आदेश जारी किया है. बीमा कम्पनी को अब ब्याज समेत पॉलिसी की रकम चुकानी होगी. साथ ही, मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय भी देना होगा.
सक्ती थाना क्षेत्र के सोंठी निवासी उमा यादव ने 28 दिसम्बर 2017 को भारतीय जीवन बीमा निगम से अपना जीवन बीमा कराया था। उमा ने जो पॉलिसी ली थी, जिसमे जोखिम आरम्भ होने की तिथि 15 फरवरी 2018 थी. उमा यादव की 23 फरवरी 2018 को मौत हो गई. उमा यादव का पुत्र रवि यादव इस पॉलिसी में नॉमिनी था। अपनी माँ की मौत के बाद रवि यादव ने भारतीय जीवन बीमा निगम सक्ती शाखा के शाखा प्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक भोपाल तक पत्राचार कर बीमा क्लेम राशि की मांग की. जीवन बीमा निगम की ओर से बीमारी में मौत बताते हुए पॉलिसी क्लेम राशि देने से मना कर दिया. इस पर रवि यादव ने जिला उपभोक्ता फोरम जांजगीर की शरण ली. रवि ने 20 दिसम्बर 2019 को जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद प्रस्तुत किया. जिला उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह, मंजूलता राठौर ने भारतीय जीवन बीमा निगम को सेवा में कमी का दोषी पाया। बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी रवि यादव को 8 लाख रुपए बीमा क्लेम राशि परिवाद प्रस्तुति दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश जारी किया गया. साथ ही, 5 हजार रुपए मानसिक क्षतिपूर्ति और 3 हजार रुपए वाद व्यय एक माह के अंदर अदा करने का आदेश पारित किया गया.



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