बिजली चोरी से प्रकरण में न्यायालय द्वारा लगाए गए अर्थदंड की राशि पटाने के बाद भी उपभोक्ता को बिल भेजने के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला, सेवा में कमी बताते हुए ये फैसला सुनाया… पढ़िए…

जांजगीर-चाम्पा. विद्युत विभाग द्वारा बिजली चोरी से प्रकरण में न्यायालय द्वारा लगाए गए अर्थदंड की राशि पटाने के बाद भी उपभोक्ता को बिल भेजने के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने विभाग के इस कार्य को सेवा में कमी बताते हुए मानसिक छतिपूर्ति वाद व्यय की राशि ग्राहक को देने का फैसला सुनाया है.
उपभोक्ता आयोग के फैसले को लेकर सारागांव निवासी शिवशंकर दुबे पिता स्व. केशव प्रसाद दुबे ने बताया कि उसने विद्युत विभाग से घरेलू उपयोग के लिए करेक्शन लिया है. उस कनेक्शन की जांच विभागीय सतर्कता टीम के द्वारा की गई थी जिसमें अनियमितता पाए जाने पर प्रकरण बनाते हुए मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था.
उक्त मामले में न्यायालय द्वारा एक लाख ₹35000 का जुर्माना लगाया गया. उपभोक्ता शिव शंकर ने जुर्माने की राशि न्यायालय में जमा करा दी थी. इसके बाद भी विद्युत विभाग के उपयंत्री द्वारा एक लाख 19951 रुपय काबिल भेजा गया। बिल के संबंध में उपभोक्ता द्वारा पूछताछ करने पर विभागीय अधिकारी ने बताया कि सतर्कता टीम दारा निकाले गए जुर्माना की राशि है और उसे ग्राहक को पटाना होगा.
न्यायालय में जमा करा गई रकम के बारे में अधिकारियो ने शिवशंकर को बताया कि वह तो अर्थदंड की राशि है. उपभोक्ता ने बिल सुधार कर देने बार-बार आगरा किया इसके बाद भी अधिकारी पूरी राशि जमा करने की बात कहते रहे.
शिव शंकर ने मामला उपभोक्ता आयोग में पेश किया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह तथा मंजूलता राठौर ने पाया कि न्यायालय द्वारा लगाए गए अर्थदंड की राशि में विभागीय जुर्माना भी शामिल है.
इस तरह विभाग उपभोक्ता को अतिरिक्त राशि जमा करने की बात कहकर सेवा में कमी कर रहा है. आयोग ने विद्युत विभाग के अधिकारियों पर 45 दिनों के भीतर वास्तविक बिल उपभोक्ता को देने का फैसला सुनाते हुए उपभोक्ता को मानसिक छतिपूर्ति बतौर ₹10000 तथा वाद व्यय स्वरूप 3000 रुपए देने का आदेश दिया है.



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