सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी में पिछले महीने किए गए बदलाव को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी को नोटिस भेज उनसे जवाब माँगा है.
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यूज़र्स के डेटा को दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किए जाने के लगते आरोपों को देखते हुए लोगों की निजता की रक्षा अवश्य होनी चाहिए.
खंडपीठ ने कहा कि नागरिकों को अपनी प्राइवेसी ख़त्म होने की आशंका है और लोगों को लगता है कि उनके चैट्स और डेटा दूसरों के साथ शेयर किए जा रहे हैं. अदालत ने कहा कि हमें इस बात को लेकर चिंता है कि ‘वॉट्सऐप संदेशों के सर्किट को ज़ाहिर कर देता है’.
अदालत ने फ़ेसबुक और वॉट्सऐप के वकीलों से कहा, “आप दो या तीन ट्रिलियन की कंपनियाँ होंगी मगर लोगों को पैसे से ज़्यादा अपनी प्राइवेसी प्यारी होती है. इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. “
मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कहा, “हम आपसे वही कह रहे हैं जो हमने सुना और पढ़ा है. लोग सोचते हैं कि अगर ए ने बी को मेसेज भेजा और बी ने सी को, तो फ़ेसबुक को संदेशों के इस पूरे सर्किट की जानकारी होती है”.
वॉट्सऐप की तरफ़ से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि यूरोपीय देशों में एक विशेष क़ानून (जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन्स) है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है.उन्होंने कहा कि अगर संसद इस संबंध में क़ानून बनाती है, तो कंपनी उसका पालन करेगी.
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कंपनियाँ यूजर्स का डेटा शेयर नहीं कर सकती और डेटा की सुरक्षा होनी चाहिए.
वहीं याचिकाकर्ता इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन के वकील श्याम दीवान ने सुनवाई के दौरान कहा कि बड़े पैमाने पर मेटाडेटा को फ़ायदे के लिए शेयर किया जाता है और ये प्राइवेसी के लिए एक चिंताजनक बात है.
दीवान ने कहा, “हम ये मनाते हैं कि वॉट्सऐप भारत के यूज़र्स के लिए प्राइवेसी के अपने मापदंडों को नीचे ना गिरा दे. उन्हें डेटा को फ़ेसबुक के साथ शेयर करने से रोका जाना चाहिए”.
श्याम दीवान का कहना था कि यूरोपीय यूजर्स की तुलना में भारतीय यूजर्स की प्राइवेसी को कमतर किया जा रहा है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वॉट्सऐप और फ़ेसबुक को नोटिस जारी किया. अब इस मामले में सुनवाई चार हफ़्ते बाद होगी.
श्याम दीवान ने इस साल जनवरी में कहा था कि वॉट्सऐप एक नई प्राइवेसी पॉलिसी लेकर आया है जिससे यूरोपीय लोगों की तुलना में भारत के यूज़र्स की प्राइवेसी के साथ समझौता होता है.इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन ने वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और इस पर रोक लगाने की मांग की थी.
नई नीति आठ फ़रवरी से लागू होनी थी. भारतीय यूजर्स को कहा गया था कि वे नई नीति को स्वीकार करें. अब ये समयसीमा बढ़ाकर 14 मई कर दी गई है.
भारत में वॉट्सऐप के 40 करोड़ से ज़्यादा यूजर्स हैं.