प्राइवेट जॉब छोड़कर कुछ अलग करने के जुनून से मिली नई मंजिल, एमएससी तक पढ़ी ‘दीक्षा’ अब मशरूम से कमा रहीं लाखों, युवाओं के लिए बनीं मिसाल, 20 महिलाओं को भी दे रही है रोजगार

प्रकाश साहू ( जांजगीर-चाम्पा ). जिले के बम्हनीडीह क्षेत्र के सरवानी गांव की दीक्षा महन्त, युवाओं के लिए मिसाल बन गई है. खासकर, युवतियों और महिलाओं के लिए आईकॉन बन गई है. एमएससी मैथ्स की पढ़ाई करने के बाद कुछ अलग करने के जुनून ने दीक्षा महन्त को नई पहचान दिला दी है.

प्राइवेट जॉब को छोड़कर दीक्षा महन्त ने स्वावलम्बन की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है और मशरूम उत्पादन कर हर माह लाखों रुपये कमा रही हैं. इतना ही नहीं, सरवानी गांव की 20 महिलाओं को घर बैठे रोजगार भी दे रही है.
दीक्षा को इस बड़े लक्ष्य में उनके पिता लक्ष्मीदास महन्त, मां सावित्री और भाई राहुल भी सहयोग कर रहे हैं. शुरू में, परिवार के लोगों को दीक्षा का फैसला अटपटा लगा था, लेकिन आज दीक्षा की उपलब्धि के बाद परिवार के लोग भी बेहद खुश हैं.

सरवानी गांव स्थित अपने घर के खुले परिसर में प्लास्टिक और बांस से घेरा बनाकर 2 माह पहले मशरूम उत्पादन शुरू किया गया है. बड़े स्तर पर रोज मशरूम का उत्पादन हो रहा है और मशरूम की सप्लाई जांजगीर-चाम्पा जिले के अलावा कोरबा और दूसरे जिले में हो रही है. यहां तक ओड़ीसा और मप्र से भी मशरूम की मांग है, जिसकी पूर्ति की कोशिश की जा रही है.
आपको बता दें, धान के पैरे में स्पॉन के माध्यम से मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है और बाजार में मशरूम की कीमत प्रति किलो 3 से 4 सौ रुपये है. मानव शरीर के लिए मशरूम काफी फायदेमंद है और कई बीमारियों की रोकथाम में भी मददगार है, जिसकी वजह से इसकी मांग भी बहुत है.

अभी सरवानी गांव में मशरूम का जितना उत्पादन हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा दीक्षा महन्त के पास मशरूम की मांग है. लिहाजा, इस कार्य को और आगे बढ़ाने की मंशा, दीक्षा महन्त की है.



दीक्षा महन्त का कहना है कि मशरूम उत्पादन क्षेत्र में अभी और आगे बढ़ना है और स्थानीय स्तर पर ही मशरूम स्पॉन तैयार करने का लक्ष्य है, ताकि मशरूम उत्पादन कर रहे दूसरे किसानों को कम कीमत पर स्पॉन मिल जाए और मशरूम उत्पादन की लागत में कमी हो, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ सकेगी.

अभी अपने स्तर पर परिवार की मदद से दीक्षा महन्त, गांव के घर के परिसर में मशरूम उत्पादन कर रही हैं और अच्छी आमदनी अर्जित कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. साथ ही, गांव की 20 महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें भी मदद कर रही हैं.

एमएससी मैथ्स की पढ़ाई करने के बाद गांव में रहकर कुछ अलग करने, दीक्षा महन्त की सोच को अब पंख लग गया है. अब, इस कोशिश को सरकारी मदद मिल जाए तो दीक्षा, आगे और बेहतर कर सकती हैं और अन्य महिलाओं को रोजगार से जोड़ सकती हैं.

फिलहाल, दीक्षा महन्त ने मशरूम उत्पादन की दिशा में खास तरीके से शुरुआत की है. दीक्षा की अलग कोशिश और सोच को देखकर सभी उनकी तारीफ कर रहे हैं. यहां तक दीक्षा द्वारा बड़े स्तर पर मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया को देखने, जिले के अलावा दूसरे जिले के किसान भी पहुंच रहे हैं और वे भी दीक्षा महन्त के जुनून के कायल हो जा रहे हैं. एमएससी मैथ्स की पढ़ाई करने के बाद, कोई अलग रास्ता तय करे और मुकाम हासिल करे, उसके बाद दीक्षा महन्त की जिले के साथ ही प्रदेश में प्रगतिशील महिला किसान के रूप में एक अलग पहचान बन गई है.

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