रविचंद्रन अश्विन को इस साल इंग्लैंड दौरे पर एक भी टेस्ट मैच में खेलने का मौका नहीं मिला. हालांकि टी20 वर्ल्ड कप 2021 के माध्यम से उन्होंने चार साल बाद एकाएक खेल के सबसे छोटे प्रारूप में भारतीय टीम में वापसी की. वे न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दौरान भी प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने. अश्विन ने साल 2019-20 के उस दौर को याद दिया जब उन्हें सबसे ज्यादा मदद की जरूरत थी लेकिन उन्होंने खुद को अकेला पाया. अश्विन का कहना है कि वो उस वक्त अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने पर भी विचार कर रहे थे.



द क्रिकेट मंथली से बातचीत के दौरान रविचंद्रन अश्विन ने कहा, “साल 2019 से 2020 के बीच कई बार उन्हें ऐसा लगा कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लेनी चाहिए. मुझे लगा कि मैं काफी मेहनत कर रहा हूं लेकिन नतीजा नहीं आ रहा. जितनी ज्यादा लगन से मैं चीजों का ट्राय कर रहा था. उतना ही निराश भी होता जा रहा था. इस दौरान कई बार मुझे लगा कि इस खेल को छोड़ दूं.”
रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने कहा, “मुझे लगा कि लोग मेरी चोट के लेकर ज्यादा संवेदनशील नहीं थे. मुझे लगा कि बहुत सारे लोगों का बचाव किया गया है तो फिर मेरे साथ ऐसा क्यों नहीं हुआ. मैंने किसी से कम योगदान नहीं दिया है. मैंने टीम के लिए बहुत सारे मैच जीते हैं. आमतौर पर मैं मदद की तलाश नहीं करता हूं. मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे सहनुभूति के लिए अपना कंधा थे. मुझे लगा कि मुझे कोई नई चीज ढूंढनी होगी और उसमें महारथ हांसिल करनी होगी.”






