मीडिया में Virat Kohli के बयान से कोई खुश नहीं, लेकिन साउथ अफ्रीका दौरे तक शांत रहेगा BCCI… जानिए क्यों…

मीडिया में कप्तानी के मुद्दे पर विराट कोहली ने जो कुछ कहा वह BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली के बयानों के उलट था, इससे पूरा बोर्ड स्तब्ध है, लेकिन फिलहाल विराट पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.



साउथ अफ्रीका दौरे से पहले बीसीसीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को जो बयान दिया उससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) का कोई अधिकारी खुश नहीं है. विराट कोहली की इस तूफानी प्रेस कॉन्फ्रेंस से सभी हैरान हैं और इस संकट से निपटने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. लेकिन अभी बोर्ड भारतीय टेस्ट कप्तान का फोकस भंग करना नहीं चाहता है, जिसका असर टीम के प्रदर्शन पर भी पड़ सकता है.

विराट कोहली ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि जब उन्होंने टी20 टीम की कमान छोड़ने का फैसला लिया था, तब किसी ने भी उनसे इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए नहीं कहा था और इसे भविष्य के लिए प्रगतिशील निर्णय करार दिया था. इसके बाद उन्होंने वनडे टीम की कमान से हटाने के सवाल पर भी कहा कि किसी ने उनसे इस मसले पर भी बात नहीं की और उन्हें टीम का ऐलान करने से डेढ़ घंटे पहले बस यह जानकारी दी गई कि उन्हें वनडे टीम की कप्तानी से हटाया जा रहा है.

उनके ये बयान बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के बयान के विपरीत थे, जो उन्होंने मीडिया में दिए थे. अतीत में बामुश्किल ही ऐसे मामले देखने को मिले हैं जब भारतीय क्रिकेट के सुपरस्टार और मौजूदा कप्तान तथा अध्यक्ष पद पर काबिज पूर्व कप्तान के बयानों में विरोधाभास हो.

पता चला है कि बुधवार को जो हुआ उससे बीसीसीआई में कोई भी खुश नहीं है लेकिन वे समझते हैं कि मामले के तुरंत हल के लिए उनकी कोई भी कड़ी प्रतिक्रिया नुकसानदेह हो सकती है. विराट कोहली (Virat Kohli) गुरुवार शाम साउथ अफ्रीका पहुंच गए, जबकि कोलकाता में बोर्ड अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वह कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे.

गांगुली ने मीडिया से कहा, कोई बयान नहीं, कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं. हम इससे निपट लेंगे, इसे बीसीसीआई पर छोड़ दीजिए.’ पता चला है कि गांगुली और सचिव जय शाह (Jay Shah) सहित बीसीसीआई के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बुधवार को ‘जूम कॉल’ पर बात की जहां सामूहिक रूप से फैसला किया गया कि कोई भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करेगा और ना ही प्रेस विज्ञप्ति जारी करेगा.

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीटीआई को बताया, ‘विशेषज्ञ का नजरिया जाना गया कि इस संवेदनशील मामले से कैसे निपटा जाए क्योंकि इससे अध्यक्ष के कार्यालय का सम्मान जुड़ा है. बीसीसीआई को पता है कि टेस्ट सीरीज होने वाली है और जल्दबाजी में लिया गया उनका कोई फैसला या बयान टीम का मनोबल प्रभावित कर सकता है.’

कप्तान और अध्यक्ष के लिए सर्वश्रेष्ठ तरीका यह होगा कि दोनों बैठकर सौहार्दपूर्ण तरीके से मतभेद या संवादहीनता का हल निकालें. फिलहाल गांगुली या शाह के कप्तान से बात करने की संभावना कम है.

सामान्य तौर पर केंद्रीय अनुबंध खिलाड़ी से संस्था या पदाधिकारियों के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जाती लेकिन कोहली के मामले में जो हुआ उससे जुड़े एक सवाल के जवाब में दी गई प्रतिक्रिया नियमों को उल्लंघन है या नहीं, यह भी एक सवाल है इसलिए इस समस्या का कोई आसान हल नहीं होने वाला.

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