नई दिल्ली। आम बजट में सरकार साल भर के खर्च और आमदनी का लेखाजोखा संसद के जरिए आम जनता के सामने रखती है। देश के वित्त मंत्री आम बजट को लोकसभा में पेश करते हैं। 1 फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीता रमण आम बजट पेश करने वाली हैं। आजादी के बाद से आम बजट पेश किया जाता रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस मंत्री के नाम अबतक सबसे अधिक बार आम बजट पेश करने का रिकॉर्ड है? ये वित्त मंत्री थे मोरारजी देसाई।
एक वित्त मंत्री के तौर पर मोरारजी देसाई ने 10 बार आम बजट पेश किया था। इनमें से 8 पूर्ण बजट थे और 2 इंटरिम। वित्त मंत्री के तौर पर मोरारजी देसाई ने पहले टर्म में पांच पूर्ण बजट 1959-60 से 1993-64 और एक इंटरिम बजट 1962-63 पेश किया था। दूसरी बार वित्त मंत्री बनने के बाद मोरारजी देसाई ने 1967-68 से 1969-70 के पूर्ण बजट के अलावा 1967-68 का एक इंटरिम बजट पेश किया था।
मोरारजी देसाई के बाद प्रणब मुखर्जी, पी चिदंबरम, यशवंत सिन्हा, वाईबी चौहान और सीडी देशमुख का स्थान आता है। इन सभी ने सात-सात बार बजट पेश किया। मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमचारी ने 6-6 बार बजट पेश किया। पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 5 बार बजट पेश किया है। आर वेंकटरमन और एचएम पटेल ने 3-3 बजट पेश किए। सबसे कम बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्रियों में जसवंत सिंह, वीपी सिंह, सी सुब्रमण्यम, जॉन मथाई और आर के शनमुखम ने दो-दो बार बजट पेश किया।
बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
आजाद भारत का पहला बजट तात्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था।
जॉन मथाई देश के दूसरे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1949-50 का बजट पेश किया। यह ऐतिहासिक बजट था और महंगाई पर केंद्रित था। इसी बजट के जरिये देश ने योजना आयोग और पंचवर्षीय योजनाओं जैसे शब्दों को चुना।
साल 1955 के बाद यानी 1955-56 के बजट से ही बजट से जुड़े दस्तावेज हिंदी में भी तैयार किए जाने लगे।
1955-56 के केंद्रीय बजट में कालाधन उजागर करने की योजना शुरू की गई।
साल 1994 के केंद्रीय बजट में सर्विस टैक्स का प्रावधान किया गया। इस बजट को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था।
साल 1973-74 के बजट को भारत के ब्लैक बजट के रूप में जाना जाता है। इस साल देश का बजट घाटा 550 करोड़ रुपए था।
साल 1982 में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया था। उन्होंने 1 घंटा 35 मिनट तक बजट स्पीच दी। इस बजट के बाद लंबी बजट स्पीच का ट्रेंड बन गया। इस पर इंदिरा गांधी ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सबसे छोटे कद के वित्त मंत्री ने सबसे लंबा भाषण दिया।
राजीव गांधी ने साल 1987 के बजट में भारत का पहली बार कॉरपोरेट टैक्स से परिचय करवाया।
बजट के इतिहास में ऐसा मौका भी आया जब साल 1991-92 का अंतरिम और वित्तीय बजट दो अलग-अलग पार्टियों के अलग अलग मंत्रियों ने पेश किया। यशवंत सिन्हा ने अंतरिम बजट पेश किया, जबकि मनमोहन सिंह ने फाइनल बजट पेश किया।
मनमोहन सिंह ने साल 1994 के अपने बजट में सर्विट टैक्स के टर्म को भारत के सामने रखा।
यशवंत सिन्हा को साल 2002 के केंद्रीय बजट में सबसे ज्यादा रोलबैक शामिल करने के लिए जाना जाता है।
यशवंत सिन्हा ने साल 1991 में विदेशी मुद्रा संकट के दौर में बजट पेश किया। साल 1999 में उन्होंने जब बजट पेश किया तब देश में पोखरण विस्फोट पर चर्चा आम थी। साल 2000 में जब उन्होंने बजट पेश किया तब देश कारगिल की लड़ाई के बाद के माहौल से जूझ रहा था, जबकि साल 2001 में जब उन्होंने बजट पेश किया तब देश गुजरात में आए भूकंप की चिंता में डूबा हुआ था।
साल 2000 तक भारत में बजट शाम को पांच बजे पेश होता था, इसके पीछे तर्क यह था कि जब भारत में शाम के पांच बजते हैं तो लंदन में सुबह के साढ़े ग्यारह बज रहे होते हैं। लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्डस में बैठे सांसदों को भारत का भाषण सुनना होता था, इसलिए हिंदुस्तान का बजट शाम को पांच बजे पेश होता था।
संसद में लंबी बहस के बाद बजट पेश करने के समय में बदलाव किया गया। 2001 में तात्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सबसे पहले दिन में बजट पेश करने की परंपरा शुरू की।
2017 में पहली बार रेल बजट की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया। परंपरा के अनुसार रेल बजट आम बजट से एक दिन पहले आता था। लेकिन 2017 से रेल बजट को आम बजट में समाहित कर लिया गया।