प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आने वाले समय में सबके लिए एक डिजिटल आईडी ला सकती है। दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने “फेडरेटेड डिजिटल आइडेंटिटीज” का एक नया मॉडल प्रस्तावित किया है। इसके तहत किसी एक व्यक्ति की कई डिजिटल आईडी (मसलन PAN Card, Aadhaar Card, DL और Passport Number तक) को एक अलग किस्म की आईडी के जरिए से आपस में जोड़ा, सहेजा और एक्सेस किया जा सकता है।
मंत्रालय ने इसमें सुझाव दिया है कि यह डिजिटल आईडी लोगों को “इन आईडी (Identities) के काबू में रखकर” और उन्हें इसे चुनने का ऑप्शन देंगी कि वे किस काम/मकसद के लिए कौन सी आईडी का इस्तेमाल करना चाहते हैं।”
प्रस्ताव के मुताबिक, “एफडीआई” एक रजिस्ट्री की चाभी के तौर पर भी काम करेगी, जहां सभी अलग-अलग राज्य और केंद्रीय आईडी सहेजी/स्टोर की जा सकती हैं। लोग “ऑथेंटिकेशन और सहमति वाले ईकेवाईसी (eKYC) के जरिए बाकी थर्ड पार्टी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए” डिजिटल आईडी का उपयोग कर सकते हैं।
यही नहीं, ड्राफ्ट प्रपोजल कहता है कि एक व्यक्ति की सभी डिजिटल आईडी को एक दूसरे के साथ लिंक किया जा सकता है। यह चीज बार-बार वेरिफिकेशन प्रोसेस (सत्यापन प्रक्रिया) की जरूरत को खत्म कर देगा।
मंत्रालय ने इंडिया एंटरप्राइज आर्किटेक्चर (इंडईए) 2.0 के तहत यह प्रस्ताव पेश किया है। माना जा रहा है कि इस प्रस्ताव को जल्द ही सार्वजनिक किया जा सकता है। बताया गया कि मंत्रालय इस पर 27 फरवरी तक टिप्पणी मांगेगा। “एफडीआई” के अलावा नए फ्रेमवर्क ने कई सरकारी एजेंसियों के लिए तीन प्रमुख आर्किटेक्चरल पैटर्न भी प्रस्तावित किए हैं।
बता दें कि इंडईए को पहली बार साल 2017 में “सरकारी संगठनों के व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ आईटी विकास के अलाइनमेंट (संरेखण) को सक्षम करने के लिए” प्रस्तावित और डिजाइन किया गया था। तब से ढांचे को अपडेट किया गया है।
2.0 वर्जन में InDEA एक ऐसे ढांचे का प्रस्ताव करता है, जो सार्वजनिक और साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को “ग्राहकों को समग्र और एकीकृत सेवाएं” (“जो उनकी संगठनात्मक सीमाओं से परे हो सकता है”) देने के लिए आईटी आर्किटेक्चर का निर्माण और डिजाइन करने में सक्षम बनाता है।