रामायण के ‘राम’ अरुण गोविल के पास है इतने करोड़ की प्रॉपर्टी, भाभी की मदद से एक्टिंग की दुनिया में रखे थे कदम…

अरुण गोविल का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में 12 जनवरी 1958 को हुआ था।



उनका बचपन मेरठ के शाहजहांपुर में बीता तो वहीं कॉलेज की पढ़ाई चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से की। एक वक्त पर लोग अरुण गोविल को सच में भगवान राम समान समझ पैर छूने लगे थे और उनकी टीवी पर एक झलक पाने के लिए सड़कें और गलियां तक सुनसान हो जाती थीं। अरुण गोविल इंजिनियर बनना चाहते थे और इसलिए इंजिनियरिंग साइंस में एडमिशन लिया, पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अरुण गोविल ने फ‍िल्‍में भी कीं लेकिन रामायण सीरियल ने उन्‍हें घर घर तक पहुंचाया।

अरुण गोविल ने खुद बताया था कि जब उन्‍हें रामानंद सागर के ‘रामायण’ का पता चला तो वे उनके पास राम का रोल मांगने गए। उन्होंने चश्मा ठीक करते हुए देखा और कहा कि जब टाइम आएगा तब बात करेंगे। कुछ दिन बाद ऑडिशन हुआ और उन्‍हें रिजेक्ट कर दिया गया। कुछ समय बाद अचानक सागर साहब का फोन आया और बोले कि कुछ नहीं कर रहे हो तो मिलने आ जाओ। जब मिले तो तो उन्होंने कहा कि हमारी सलेक्शन कमेटी ने ये तय किया है कि तेरे जैसा राम नहीं मिल रहा है।

भाभी तब्बसुम ने की मदद
अरुण गोविल के बड़े भाई विजय गोविल ने अदाकारा तब्बसुम से शादी की थी। भाभी तब्बसुम ने ही सबसे पहले अरुण गोविल को ताराचंद बड़जात्या से मिलवाया। उन्होंने अरुण गोविल के साथ 3 फिल्मों की डील साइन कर ली। इसके बाद उन्‍होंने 1977 में आई ‘पहेली’ से डेब्‍यू किया। 3 फिल्मों की डील में उनकी पहली रिलीज फिल्म ‘सावन को आने दो’ रही जो ब्लॉकबस्टर बनी। 1981 में आई ‘जियो तो ऐसे जियो’ भी सुपरहिट रही। टीवी और बॉलिवुड के अलावा अरुण गोविल ने भोजपुरी, बंगाली, तेलुगु और कन्नड़ भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया।

अरुण गोविल की नेटवर्थ (कुल संपत्ति)
रामानंद सागर की रामायण में दिखाई देने के बाद अरुण गोविल को कई बॉलीवुड फिल्मों और सीरीज में देखा गया था। रामायण के बाद भी, उन्हें विक्रम और बेताल जैसे विभिन्न शो और भगवान राम पर एक फीचर शो में देखा गया था। विभिन्न मीडिया पोर्टलों के अनुसार, अभिनेता की कुल संपत्ति लगभग $ 5 मिलियन है, जो कि ₹38 करोड़ से अधिक होती है। अरुण गोविल कुछ टीवी विज्ञापनों में भी नजर आए थे।

ऐसे शुरू हुआ एक्टिंग सफर
अरुण गोविल 1975 में भाई के बिजनेस में हाथ बंटाने के मकसद से मुंबई पहुंच गए थे। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 17 वर्ष थी। कुछ समय बाद वह बोर होने लगे और जिस काम को कर रहे थे उसमें उन्हें मजा नहीं आ रहा था। उनका दिल नहीं लग रहा है। तब उन्होंने फैसला किया कि वह कुछ और करेंगे, जिसे वह इंजॉय भी कर सकें। चूंकि, अरुण गोविल ने कॉलेज के दिनों में खूब नाटकों में काम किया था, इसलिए उन्होंने अभिनय की दुनिया में संभावनाएं तलाशना शुरू कर दीं।

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