IAS बना ‘बकरी चराने वाला’ लड़का! सोशल मीडिया पर शेयर की पुरानी यादें तो भावुक हो गए लोग

नई दिल्ली: हर सफल इंसान के पीछे उसकी कठिन परिश्रम और मेहनत छुपी होती है। एक IAS अधिकारी ने अपने बचपन की ऐसी ही कहानी सोशल मीडिया पर शेयर की जिसे पढ़कर लोग इमोशनल हो गए। उनके ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने उनकी प्रशंसा भी की है। आईएएस राम प्रकाश ने बताया कि साल 2018 में छठे प्रयास में IAS परीक्षा क्रैक की थी। IAS Ram Prakash की शुरुआती पढ़ाई वाराणसी से हुई थी।



 

IAS राम प्रकाश ने लिखा है, ‘हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे। वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे। अचानक से डाल टूट गई। किसी को चोट तो नहीं लगी लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे जिससे पता ही न चले कि डाल टूटी है या नहीं।’राम प्रकाश ने बताया कि ये किस्‍सा उनके पैतृक गांव का है। IAS अधिकारी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित जमुआ बाजार के एक गांव के रहने वाले हैं। उसी को याद कर उन्होंने ये ट्वीट किया।

 

उन्‍होंने कहा- अक्‍सर पढ़ाई के बाद बकरी चराने जाना भी रूटीन का काम होता था। गांव में हर दिन स्‍कूल के बाद बकरी चराने जाते थे। क्‍योंकि पढ़ाई और बकरी चराना ये दोनों ही साथ-साथ चलता था। ये केवल एक दिन की बात नहीं थी। राम प्रकाश बोले- ये रोज का काम था। राम प्रकाश 2018 बैच के राजस्‍थान कैडर के IAS अधिकारी हैं। वह मूलत: यूपी के मिर्जापुर जिले से ताल्‍लुक रखते हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई वाराणसी के रोहनिया में मौजूद श्रद्धानंद सरस्‍वती इंटरमीडियट कॉलेज से हुई।

 

उन्‍होंने 12वीं 2007 में पास की थी। इस समय राजस्‍थान के पाली जिले में CEO जिला परिषद के पद पर तैनात हैं। खास बात ये है कि अपने छठे प्रयास में उन्होंने IAS परीक्षा क्रैक की थी। तब उनकी 162 रैंक आई थी। उन्‍हें 2025 में से 1041 अंक मिले थे। वहीं इंटरव्‍यू में उन्‍हें 275 में से 151 नंबर मिले थे। वह झालावार जिले के भवानी मंडी और अजमेर जिले के ब्यावर में एसडीएम रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले IAS अधिकारी के ट्विटर पर 65 हजार से ज्‍यादा फॉलोअर्स हैं। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं।

 

जून 2003: हम 5-6 लोग बकरियां चराने गए थे। वहीं पर आम के पेड़ की डाल पर झूला झूल रहे थे। अचानक से डाल टूट गई। किसी को चोट तो नही लगी लेकिन मार खाने से बचने के लिए हम लोग मिलकर पेड़ की डाल ही उठा लाए थे जिससे पता ही ना चले कि डाल टूटी है या नही।

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