नई दिल्ली. यूक्रेन पर अपने हमले के दो महीने बाद रूस ने एक नई परमाणु-सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया. इस मिसाइल परीक्षण के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने दावा किया कि इससे मास्को के दुश्मन रुकने और सोचने पर मजबूर हो जाएंगे.
लंबे समय के इंतजार के बाद सरमत मिसाइल (Sarmat missile) का पहली बार उत्तर-पश्चिम रूस के प्लासेत्स्क से परीक्षण किया गया. सरमत ने लगभग 6,000 किमी. (3,700 मील) दूर कामचट्का प्रायद्वीप में अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा. रूस पिछले कई साल से सरमत का विकास कर रहा था. इसलिए इसके परीक्षण से पश्चिमी देशों को अचरज नहीं हुआ.
पुतिन ने इस मिसाइल के बारे में दावा किया कि इसमें अत्याधुनिक सैन्य और तकनीकी विशेषताएं हैं. इसे मिसाइल रोधी रक्षा व्यवस्था के किसी भी आधुनिक साधन से रोका नहीं जा सकता है. इसका दुनिया में कोई जोड़ नहीं है और आने वाले लंबे समय तक नहीं होगा.
24 फरवरी को यूक्रेन पर शुरू किए गए रूस के हमले के बीच इस मिसाइल परीक्षण ने सभी की ध्यान खींचा है. मौजूदा समय में मिसाइलों को इतनी अहमियत को देखते हुए ज्यादातर देश घातक मिसाइलों के विकास में जुटे हैं.
छोटी दूरी की मिसाइलों से लेकर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों तक पहुंची ये होड़ अब अंतरिक्ष तक जा पहुंची है. चीन ने तो हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है. हाइपरसोनिक मिसाइल पहले स्पेस में पहुंचती है और अपने टारगेट को निशाना बनाने से पहले धरती के कई चक्कर लगाती है. इसे रोकना नामुमकिन होता है.
ट्राइडेंट II (Trident II)
अमेरिका की ट्राइडेंट II पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली एक बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे पहली बार 1990 में तैनात किया गया था. ट्राइडेंट II मिसाइलों को ओहियो श्रेणी की पनडुब्बियों पर लगाया गया है. ट्राइडेंट II मिसाइल में पूरे पेलोड के साथ 7800 किमी. और कम भार के साथ 12,000 किमी. तक मार करने की क्षमता है.
भले ही ट्राइडेंट II में दूसरी ICBM की तुलना में सबसे लंबी रेंज नहीं है, लेकिन ये ट्राइडेंट II मिसाइल एक साथ 14 वॉरहेड तक ले जा सकती है. ट्राइडेंट II एक बहुत ही सटीक मिसाइल है. इसका सीईपी (circular error of probability-CEP) लगभग 90 मीटर है. दूसरी बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में ट्राइडेंट II का एक और बड़ा फायदा ये है कि यह पनडुब्बी से लॉन्च की जाती है.
अमेरिका अपने नौसैनिक बेड़े के साथ दुनिया के अधिकांश समुद्री इलाकों को कंट्रोल करता है. जमीन पर मौजूद बैलिस्टिक मिसाइलों की जगह का पता लगाया जा सकता है, लेकिन इन पनडुब्बियों का समुद्र में पता लगाना कठिन है. इससे ट्राइडेंट II मिसाइल बेहद घातक बन जाती है. इसलिए पनडुब्बियों पर तैनात ट्राइडेंट II बैलिस्टिक मिसाइलों के हमलाे से बचाव नामुमकिन है. अमेरिका में ट्राइडेंट II मिसाइलों के उन्नत संस्करण के 2042 तक सेवा में रहने की उम्मीद है.
आर-36एम2 या एसएस-18 सैटन (SS-18 Satan)
रूस की आर-36 ICMB मिसाइल का पहली बार 1971 में परीक्षण किया गया था. पश्चिम देश इसको एसएस-18 सैटन के नाम से जानते हैं. SS-18 Satan मुख्य रूप से तेज रफ्तार और अत्यधिक पेलोड के कारण एक बहुत ही सक्षम मिसाइल है. मिसाइल इंजन के विकास में रूस पश्चिमी देशों से आगे था और अभी भी है. SS-18 Satan मिसाइल की मारक क्षमता 11,000 किमी है और यह 10 वॉरहेड तक ले जाती है. इसलिए इसके परमाणु हथियारों को मिसाइल डिफेंस सिस्टम से रोकना मुश्किल है. इसका सीईपी (circular error of probability-CEP) लगभग 220 मीटर है.
इसलिए भले ही यह सबसे सटीक मिसाइल न हो, लेकिन यह अपने पेलोड के साथ बहुत घातक हो जाती है. केवल एक एसएस-18 सैटन मिसाइल मैरीलैंड, वरमोंट और रोड आइलैंड जैसे 3 अमेरिकी राज्यों को पूरी तरह से नष्ट कर सकती है. एसएस-18 सैटन मिसाइल एक जमीन आधारित मिसाइल है. जिसके केंद्र रूस भर में फैले हैं. इन मिसाइलों की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. यही वजह है कि इस मिसाइल को दूसरे स्थान पर रखा जाता है. हालांकि रेंज और पेलोड के मामले में यह साफ तौर से अमेरिका के ट्राइडेंट II से बेहतर है.
RS-24 यार्स (RS-24 Yars)
रूस का RS-24 Yars एक नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है. इसे पश्चिम देशों में SS-29 के नाम से जाना जाता है. इसे 2010 में रूसी सेना में शामिल किया गया था.यह ठोस ईंधन वाली बैलिस्टिक मिसाइल है. यार्स की मारक क्षमता 12,000 किमी. है.
ये मिसाइल 10 वारहेड ले जा सकती है. यार्स का सीईपी 150-200 मीटर है. ये मिसाइल 33,300 किमी./घंटा (मैक 27) की रफ्तार तक पहुंच सकती है. जबकि पारंपरिक इंटरसेप्टर मिसाइल को 6173 किमी/घंटा (मैक 5) की रफ्तार के लक्ष्यों को भी भेदने में कठिनाई होती है. इसके लक्ष्य को भेदने की कम से कम 60-65 फीसद संभावना होती है.