नई दिल्ली। दुनिया के कई हिस्सों में गेंहू का आकाल पड़ा हुआ है। एक समय हुआ करता था जब अमेरिका भारत को गेंहू निर्यात के नाम पर धमकियां दिया करता था। इसके बावजूद भारत को यूएस पीएल 480 (US Public Law 480) गेंहू खरीदना होता था।
भारत द्वारा इस गेंहू के आयात में शर्ते होती थी। ये शर्तें थी कि संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत में इसके परिवहन, भंडारण, वितरण आदि की जिम्मेदारी भारत की ही होगी।
आज भारत और अन्य देशों के हालात काफी अलग है। वर्तमान में भारत के पास इतना खाद्यान्न है कि वह पूरी दुनिया की जरूरत पूरी कर सकता है। हालात ऐसे हैं कि मौजूदा स्थिति में अमरीका भी भारत से गुहार लगा रहा है कि भारत गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध न लगाएं।
रूस-यूक्रेन युद्ध बनी बड़ी वजह
यूरोप की रोटी ‘रोटी की टोकरी’ कहाने वाले देश यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्यान्न आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है।
हालात और भी गंभीर होते जा रहें हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आधी दुनिया इस परेशानी का सामना कर रही है। हालांकि यूक्रेन के बंदरगाहों पर अनाज पड़ा हुआ है लेकिन युद्ध के चलते वहां से निकल नहीं पा रहा।
केवल 70 दिनों का गेंहू शेष
अनाज के इस गंभीर संकट को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया के पास मात्र 70 दिन का गेहूं ही शेष बचा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार गेहूं का भंडार 2008 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यूक्रेन संकट और भारत के गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बाद यूरोप के देशों में गेहूं की कमी होती जा रही है।
हालात ऐसे ही रहे तो यूरोपीय देश खाने के लिए तरस सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार रूस और यूक्रेन दुनिया के एक चौथाई गेहूं की आपूर्ति करते हैं। इस समय दोनों देश युद्ध में घिरे हुए है। यही वजह है कि दुनिया में अभी केवल 70 दिनों का ही गेंहू शेष है। ऐसे में अगर भारत निर्यात रोक देता है तो इससे अन्य देश बुरी तरह प्रभावित होंगे। ऐसे में भारत ही दुनिया का एकमात्र सहारा है।