बारिश के मौसम में मच्छर जनित बीमारियों के मरीजों में भारी इजाफा होता है। इससे बचने के लिए पुडुचेरी स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) ने ऐसे मच्छरों को विकसित किया है, जो एक खास बैक्टीरिया से संक्रमित हैं। ये डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के संक्रमण को फैलने से रोकेंगे।
दरअसल, वैज्ञानिकों ने डेंगू जैसी बीमारियां फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छरों को वोल्बाचिया बैक्टीरिया की दो प्रजातियों- डब्ल्यू-एमईएल और डब्ल्यू-एएलबीबी से संक्रमित किया है। वोल्बाचिया एक सामान्य बैक्टीरिया है जो कीड़े-मकौड़ों की 60 प्रजातियों में पाया जाता है।
बैक्टीरिया मच्छरों में वायरस को कंट्रोल करता है
ICMR-VCRC के डायरेक्टर डॉ. अश्विनी कुमार ने बताया कि ये बैक्टीरिया मच्छरों की हर कोशिका पर बैठ जाते हैं और उसे अपना घर बना लेते हैं। इसके बाद यह डेंगू जैसे वायरस को कंट्रोल करने लगते हैं। रिसर्च में पाया गया कि बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर मच्छर डेंगू फैलाने में सक्षम नहीं होते हैं।
इस एक्सपेरिमेंट के लिए ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से वोल्बाचिया बैक्टीरिया की दोनों प्रजातियों के करीब 10,000 अंडों को भारत लाया गया। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इन अंडों को फोड़कर पुडुचेरी की एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छरों को संक्रमित किया गया।
मच्छर संभोग कर बिना वायरस का लार्वा पैदा करेंगे
डॉ. कुमार कहते हैं कि विकसित किए गए नए मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही वायरस के मच्छरों से बदले जा सकते हैं। हम मादा मच्छरों को स्थानीय इलाकों में छोड़ेंगे जो नर मच्छरों के साथ संभोग कर ऐसा लार्वा पैदा करेंगे, जिनमें कोई वायरस ही नहीं होगा। धीरे-धीरे वायरस वाले सारे मच्छर रिप्लेस हो जाएंगे।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस एक्सपेरिमेंट का प्रैक्टिकल यूज करने के लिए सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है। साथ ही स्थानीय अधिकारी और जनता को भी इस अभियान में सहयोग करना होगा।