Happy Birthday Amitabh Bachchan: यूं ही नहीं कोई बिग बी बन जाता है, जानें बेंच पर सोने से शहंशाह बनने…तक की कहानी…पढ़िए

अगर बॉलीवुड की बात हो रही हो और आप से कोई कहे कि एज इज जस्ट ए नंबर तो आपका जेहन में पहला नाम कौन सा आएगा? अमिताभ बच्चन का है ना? लाजमी भी है। बिग बी, शहंशाह, सदी के महानायक जैसी उपमा पा चुके अमिताभ बच्चन आज 11 अक्तूबर को 80 बरस के होने जा रहे हैं।



अमिताभ एक ऐसे अभिनेता हैं जो 90 के दशक से लेकर आज तक के पीढ़ी के पसंदीदा अभिनेताओं में शामिल हैं। अमिताभ उम्र के इस पड़ाव पर भी काफी फिट हैं। रोल कोई भी हो वह पूरी शिद्दत से अदा करते हैं और हर किरदार में जान फूंक देते हैं। ऐसे में आज अमर उजाला की इस 80 साल 80 किस्से नामक सीरीज में हम आपको बिग बी के संघर्ष के दिनों के बारे में बताने जा रहे हैं।

ड्राइविंग लाइसेंस लेकर आए थे मुंबई

अमिताभ बच्चन भले ही मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के बेटे हों लेकिन उन्हें यह कामयाबी यूं ही नहीं मिली। उनके संघर्ष के दिन असल में किसी आम आदमी की तरह ही रहे। अमिताभ आज भले ही अपनी एक्टिंग के साथ-साथ दमदार अभिनय के लिए जाने जाते हों लेकिन एक वक्त था जब उन्हें अपनी आवाज की वजह से ऑल इंडिया रेडियो में भी रिजेक्शन झेलना पड़ा।

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एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बिग बी ने बताया था कि वह ड्राइविंग लाइसेंस के साथ मुंबई आए थे। उन्होंने सोचा था कि अगर वह एक्टर नहीं बन पाए तो टैक्सी चलाकर ही गुजारा कर लेंगे। इतना ही नहीं अमिताभ ने पैसों की तंगी के चलते कई रातें मरीन ड्राइव की बेंच पर सोकर भी बिताईं।

स्क्रीन टेस्ट के बाद भी मिला था रिजेक्शन

अमिताभ बच्चन ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना पहला स्क्रीन टेस्ट देने के लिए दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे। अमिताभ की मां तेजी बच्चन भी उनके करियर को लेकर काफी परेशान थी। उन्होंने नरगिस से अमिताभ बच्चन का पहला स्क्रीन टेस्ट लेने की बात कही थी। जिसके बाद नरगिस ने मोहन सहगल से बात की। सहगल ने उनके पहले स्क्रीन टेस्ट के लिए हां कह दिया था। ये अलग बात है कि स्क्रीन टेस्ट के बावजूद अमिताभ बच्चन को इस फिल्म में काम नहीं मिला था।

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जब नौकरी और फिल्म में करना था चुनाव

अमिताभ बच्चन के शुरुआती दिन काफी उतार चढ़ाव भरे रहे थे। उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया जब उन्हें अपनी नौकरी और पहली फिल्म के स्क्रीन टेस्ट में से किसी एक को चुनना था। अमिताभ बच्चन के हाथ में उस समय 1600 की नौकरी हुआ करती थी। उस जमाने में यह रकम काफी बड़ी होती थी। हालांकि उनके सामने जिस फिल्म के लिए स्क्रीन टेस्ट था वो फिल्म मनोज कुमार की थी ऐसे में उनके लिए चुनाव आसान नहीं था।

आपको जानकर हैरानी होगी कि अमिताभ ने इस फिल्म के स्क्रीन टेस्ट को ठुकरा दिया। उन्होंने स्क्रीन टेस्ट नहीं दिया और वह दिल्ली वापस लौट आए थे। बाद में उन्होंने ‘सात हिंदुस्तानी’ उनकी पहली फिल्म थी, जिसके बदले में उन्हें पांच हजार रुपये बतौर फीस मिली थी।

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लेकिन यहां उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ। फिल्म सुपर फ्लॉप साबित हुई और इसके बाद आई 12 फिल्में भी असफल ही रही। कोई उनके साथ काम करने के लिए भी राजी नहीं थी, लेकिन प्रकाश मेहरा की जंजीर से उनकी किस्मत चमकी और वह बॉलीवुड के एंग्री यंग मैन बन गए।

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