Indian Railways Latest Update: दिवाली और छठ पर ट्रेन से घर जाने वाले यात्रियों को रेलवे के फैसले से परेशानी हो रही है. दरअसल, ट्रेन में टिकट मिल नहीं रही है और लंबी वेटिंग लिस्ट है. जिन ट्रेनों में वेटिंग कम है वहां किराया बहुत ज्यादा है. राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और तेजस जैसी डायनामिक फेयर सिस्टम वाली गाड़ियों में त्योहार के समय में 2 से 3 गुना ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है.
यात्रियों को देना पड़ता है तिगुना किराया
दिल्ली से पटना जाने वाली पूर्वा एक्सप्रेस में थर्ड एसी का किराया 1,350 रुपये है. लेकिन दिल्ली से पटना जाने वाली राजधानी ट्रेन में थर्ड एसी का किराया 2,370 रुपये और तेजस राज में 3,415 रुपये है. यानी दूसरी ट्रेनों के मुकाबले इन ट्रेनों में किराया ढाई से तीन गुना ज्यादा है. यानी यात्रियों को इसके लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं.
आपको बता दें कि डायनामिक फेयर सिस्टम सिर्फ राजधानी, शताब्दी और दुरंतो गाड़ियों में ही लागू होता है. दरअसल, इनकी स्पीड दूसरी गाड़ियों की तुलना में ज्यादा होती है, इसलिए इनमें डायनामिक फेयर सिस्टम लागू होता है. डायनामिक फेयर सिस्टम होने की वजह से इन गाड़ियों में न सिर्फ किराया ज्यादा होता है, बल्कि त्योहार के चलते इनमें टिकटों की बुकिंग का किराया और बढ़ता ही जाता है.
जानिए क्या है डायनामिक फेयर सिस्टम?
अब बात करते हैं कि आखिर टिकट सिस्टम क्या है? आपको बता दें कि सरकार सितंबर 2016 में रेलवे डायनामिक फेयर सिस्टम लेकर आई थी. ये सिस्टम शताब्दी, राजधानी और दुरंतो जैसी 150 से ज्यादा प्रीमियम गाड़ियों पर लागू होता है. इस नियम के तहत टिकटों की बुकिंग के साथ-साथ किराया बढ़ता जाता है. अगर ट्रेन में 10% टिकट बुक हो गई हैं, तो किराया 10% बढ़ जाएगा. अगर 20% टिकट बुक हो गई तो भी किराया 10% और ज्यादा लगेगा. यानी, हर 10% टिकट की बुकिंग के साथ किराया बढ़ता रहता है. और इस बढ़ोतरी का सिलसिला तब तक चलता है जब तक 50% टिकट बुक नहीं हो जाती.
ऐसे बढ़ता जाता है किराया
टिकट बिकी किराया
10% से कम 1000 रुपये
10 से 20% 1100 रुपये
20 से 30% 1210 रुपये
30 से 40% 1330 रुपये
40 से 50% 1460 रुपये
50% से ज्यादा 1460 रुपये
क्या आया यह सिस्टम
इस सिस्टम को लाने की वजह है इससे रेवले को बड़ा फायदा मिलता है. आपको जानकरहर 10 किमी ट्रेन चलाने पर रेलवे को 73 पैसे खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन इसके बदले में उसे सिर्फ 36 पैसे की कमाई होती है. यानी 10 किमी के सफर में ही रेलवे को 37 पैसे का नुकसान हो गया. यानी इस डायनेमिक फेयर से रेलवे को बड़ा लाभ होता है.