भारत की डिजिटल करेंसी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 अक्टूबर, 2022 को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ( CBDC ) पर एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसे लेकर कहा गया है कि आरबीआई जल्द ही इसके उपयोग के लिए डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा और इसकी जानकारी देगा कि किन किन चीजों में इसका उपयोग हो सकता है। अगर आप भी डिजिटल करेंसी के उपयोग, अंतर और खासियत के बारे में जानना चाहते हैं तो यह रिपोर्ट आपको पढ़नी चाहिए।
क्या है डिजिटल रुपया (CBDC)
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को कॉन्सेप्ट नोट के रूप में माना गया है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी कानूनी टेंडर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह समान्य नोट या सिक्के की तरह ही है और इसे डिजिटली रूप से यूज किया जा सकता है। साथ ही इसका उपयोग आप ई-रुपया के रूप में कर सकते हैं, जो आम नोट की तरह ही मान्य होता है। इसे बैंक में जमा करने की आवश्यक नहीं होगी और इसे डिजिटल वॉलेट में रख सकते हैं।
सीबीडीसी और डिजिटल भुगतान के बीच अंतर?
2016 में विमुद्रीकरण के बाद से, डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ रहा है। वर्तमान में भुगतान UPI, NEFT और RTGS के माध्यम से किया जा सकता है। हालांकि भुगतान के इन तरीकों में एक मध्यस्थ बैंक होता है, जिसके माध्यम से भुगतानों को वेरिफाई और सुगम बनाया जाता है। RBI कांसेप्ट नोट के अनुसार, सीबीडीसी और डिजिटल रूप भुगतान में पैसे के बीच प्राथमिक अंतर है। सीबीडीसी रिजर्व बैंकी की जिम्मेदारी होगी, वहीं रुपये का ट्रांजैक्शन किसी वाणिज्यिक बैंक की जिम्मेदारी होगी। इसका मतलब है कि सभी लेनदेन केंद्रीय बैंक के माध्यम से किए जाएंगे।
डिजिटल रुपये के फीचर्स
CBDC केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीति के अनुरूप जारी की गई एक करेंसी है।
इसे सभी नागरिकों, उद्यमों और सरकारी एजेंसियों द्वारा भुगतान के माध्यम आदि के द्वारा स्वीकार किया जाएगा।
यह कॉमर्शियल बैंकों से बिल्कुल अलग है।
सीबीडीसी एक परिवर्तनीय कानूनी टेंडर है, जिसके लिए धारकों के पास बैंक खाता नहीं होना चाहिए।
सीबीडीसी से पैसे और लेनदेन जारी करने की लागत कम होने की उम्मीद है।
कितने तरह का हो सकता है यह डिजिटल रुपया
इसे दो प्रकार खुदरा (CBDC-R) और थोक (CBDC-W) में बांटा जा सकता है। खुदरा सीबीडीसी का उपयोग निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों सहित सभी द्वारा किया जा सकता है। थोक सीबीडीसी को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों तक सीमित पहुंच के लिए डिज़ाइन किया गया है।