जांजगीर-चांपा. जिले के किसानों को इस रबी के सीजन में नहरों से सिंचाई के लिए खेतों तक पानी तो मिलेगा, लेकिन यह पानी धान के फसलों के उत्पादन के लिए नहीं, अपितु दलहन-तिलहन जैसी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने और ऐसे किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए होगा। सिंचाई विभाग द्वारा नहर में कराए जा रहे विभिन्न कार्यों को देखते हुए रबी फसलों के लिए जल्दी पानी छोड़े जाने पर असहमति दिखाई तो कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने किसानों के हित को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि किसान की समृद्धि इस देश की प्रगति है और राज्य सरकार की प्राथमिकता में किसान है।
ऐसे में जिले के किसानों को किसी तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े। रबी के सीजन में कम पानी से बेहतर सिंचाई और गेहू, मूंग, अरहर, अलसी, सूर्यमुखी, उड़द, सरसों सहित धान के बदले अन्य फसल लेकर किसान लाखों की कमाई भी कर सकते हैं। जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक में कलेक्टर के कुछ इन्हीं किसान हितैषी बातों के साथ किसान संगठनों के सदस्यों के बीच निर्णय लिया गया कि 15 जनवरी से दायीं तट नहरों से रबी फसल के लिए 30 अप्रैल तक पानी छोड़ा जायेगा। इस बीच किसान भी धान के बदले अन्य फसल लेने सहमत दिखे।
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा की अध्यक्षता में आज जिला जल उपयोगिता समिति की कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बैठक हुई। बैठक में किसान हितैषी अनेक निर्णय लिये गये। रबी फसल के लिए समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि 15 जनवरी से 30 अप्रैल तक किसानों को खेती के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा। कलेक्टर ने इस मौके पर जिले में खाद, बीज,कीटनाशक के भंडारण एवं वितरण की भी समीक्षा की और उन्होंने जिले में मूंगफली सहित अन्य फसल उत्पादन के लिए बीज की आवश्यकताओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कृषि विभाग और सिंचाई विभाग को यह भी निर्देशित किया कि अंतिम छोर के किसानों तक पानी पहुंचे तथा वे धान के बदल अन्य फसल ले पाए इस दिशा में कार्य करें। टेल एरिया में धान की बजाय अन्य दलहन-तिलहन के फसल का प्रदर्शन कर किसानों को प्रोत्साहित किया जाए।
कलेक्टर ने किसानों के हित में किए जाने वाले कार्य हेतु फण्ड की कमी नहीं होने की बात कहते हुए सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए। बैठक में जैजैपुर विधायक केशव प्रसाद चंद्रा, जिला पंचायत उपाध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि उपज मण्डी नैला के अध्यक्ष व्यास नारायण कश्यप, जिला पंचायत सदस्य राजकुमार साहू, राजशेखर सिंह, दुष्यंत कुमार सिंह, संदीप तिवारी, श्री शिवकुमार तिवारी, शिवकुमार साहू, घनश्याम पटेल, दीपक कश्यप सहित किसान संगठनों के अन्य सदस्य बैठक में उपस्थित थे और किसानों के हित में सुझाव भी दिए। बैठक में अपर कलेक्टर श्री एस पी वैद्य, जिला पंचायत सीईओ डॉ ज्योति पटेल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
किसानों को न करना पड़े समस्या का सामना-कलेक्टर
बैठक में कलेक्टर श्री सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों के हित में लगातार निर्णय ले रहे हैं। जिले में अन्नदाताओं को सिंचाई या खाद-बीज सहित अन्य किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धान के बदले अन्य फसलों का उत्पादन किसानों की आमदनी में वृद्धि और जीवन में समृद्धि ला सकती है। इसके अलावा मछली, पशु पालन का व्यवसाय भी किसानों के लिए फायदेमंद है। कलेक्टर ने किसानों को रबी के सीजन में दिये जाने वाले पानी का सदुपयोग धान के बदले अन्य फसल लेने में करने की भी अपील की। सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभिंयता श्री सतीश सराफ ने बांध में जल की उपलब्धता तथा विगत सीजन में सिंचाई और फसल उत्पादन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 82 प्रतिशत पानी बांध में उपलब्ध है। पिछले वर्ष 94 प्रतिशत पानी उपलब्ध था।
इस रबी सीजन में बायीं तट नहर प्रणाली में निर्माण कार्य होने की वजह से बम्हनीडीह, सक्ती, जैजैपुर, मालखरौदा और डभरा क्षेत्रों में पानी उपलब्ध नहीं कराया सकेगा। कलेक्टर ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से पैरादान की अपील की। उन्होंने कहा कि जिले में 10 से 15 दिसम्बर तक पैरादान को बढ़ावा देने अभियान चलाया जा रहा है। आप सभी मुख्यमंत्री जी के पैरादान हेतु अपील को ध्यान में रखते हुए गौ-सेवा के लिए गौठानों में पैरादान करें।
सिंचाई विभाग कार्यों में प्रगति लाएं
बैठक में किसान संगठनों से मिली शिकायतों पर कलेक्टर श्री सिन्हा ने सिंचाई विभाग के अंतर्गत चल रहे कार्यों में प्रगति लाने के निर्देश दिए। उन्होंने समय-सीमा के भीतर कार्य पूरा नहीं करने वाले ठेकेदारों पर कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए। कलेक्टर ने सिंचाई सुविधा हेतु विभाग के अधिकारियों को पंचायत के साथ समन्वय बनाकर कार्ययोजना बनाने तथा मनरेगा व डीएमएफ से किसानों के हित में कार्य स्वीकृत कराने के निर्देश दिए। उन्होंने नहर पुलिया चौड़ीकरण कार्य सहित अन्य कार्यों में विलंब नहीं करने के निर्देश दिए।
बार-बार धान की फसल, कम करती है मिट्टी की उर्वरा
बैठक में कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि धान का फसल बार-बार लेने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है। धान की फसल में अधिक पानी लगता है। इन फसलों में कीड़े भी बहुत लगते हैं। वर्तमान में जल स्तर को बनाये रखने तथा भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाए रखने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए रबी के फसलों में धान के बदले गेहूं, मूंग, उड़द, चना, मटर, सरसों आदि फसलों का उत्पादन किसानों के लिए बहुत लाभदायब साबित होगा। जिला विपणन अधिकारी ने रबी के फसल के लिए समितियों में पर्याप्त खाद भण्डारण होने की बात कही।