रायपुर. अपने शहर की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक विरासतों के दर्शन अब आम नागरिकों के लिए काफी आसान होंगे और उनके लिए यह अनुभव सुंदर और यादगार हो जाएगा। हैरीटेज वाक की अनुपम विरासत आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नागरिकों को दी। आजादी के दौर के गवाह रहे ऐतिहासिक टाउन हाल से शुरू करते हुए प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत दिखाने वाली महाकौशल कलावीथिका की झलक लेते हुए नागरिक शहर की सबसे पुरानी बस्ती में प्रवेश करेंगे और यहां ऐतिहासिक धार्मिक धरोहरों को देखेंगे। वे नागरीदास मंदिर, जैतूसाव मठ आदि से गुजरते हुए पूरा रूट देखेंगे। इसे एक करोड़ 90 लाख रुपए की लागत से तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री सबसे पहले जैतूसाव मठ पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण की पूजा अर्चना की। साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया। इसके बाद हनुमान बावली पहुंचे जहां उन्होंने हनुमान जी की पूजा की। बताते हैं कि यह बावली बहुत पुरानी है। पांच सौ साल पहले इसके भीतर से लोगों को हनुमान जी की प्रतिमाएं दिखीं। मान्यता के अनुसार तीन प्रतिमाएं थीं। इनमें से एक को बावली में ही स्थापित किया गया। एक मूर्ति मठपारा में स्थापित की गई। यहां के महंत हनुमान जी की पूजा कर दूध का आहर लेते हैं इस वजह से इसका नाम दूधाधारी मठ रखा गया। तीसरी मूर्ति गुढ़ियारी के मच्छी तालाब में स्थापित की गई।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में यहां बावली की साफसफाई कराई गई तब बावली की भीतरी दीवारों पर वानर स्वरूप आकृति दिखाई दी जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। उल्लेखनीय है कि इस रूट पर बूढ़ातालाब से लेकर किलेवाले बाबा, बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर, शीतला माता मंदिर, महामाया मंदिर, नागरीदास मंदिर, महावीर व्यायाम शाला, जैतूसाव मठ, जगन्नाथ मंदिर और टूरी हटरी को जोड़ा गया है। हैरीटेज वाक रूट प्रोजेक्ट के तहत शहर की एतिहासिक बिल्डिंग टाउन हाल और महाकौशल कला वीथिका के पुनर्विकास के काम भी कराया गया है।
इस प्रोजेक्ट के तहत बूढ़ातालाब से लेकर टूरी हटरी तक पाथवे बनाने, पाथवे पर बिजली लगाने, पर्यटकों के बैठने के लिए 40 विभिन्न स्थानों पर आकर्षक बैंच लगाने 216 सोलर पोस्ट लगाने के काम किए गए है। पूरे मार्ग पर साढ़े तीन हजार वर्ग मीटर आकर्षक पेटिंग कराई गई है। हैरीटेज वाक रूट के स्थलों के लिए रोड मार्किंग और आकर्षक साइन बोर्ड भी लगाये गये है।