ट्रेन के डिब्बों पर लिखा होता है खास नंबर, केवल इसे देखकर बता सकते हैं 2 बड़ी बातें, क्या आपको है पता?

नई दिल्ली. भारतीय रेलवे लोगों के रोजमर्रा के जीवन का बड़ा हिस्सा है. इसलिए रेलवे से जुड़ी बातें हम काफी रुचि लेकर जानते हैं. सबसे लंबी रेल कौन सी है, सबसे लंबा रूट किया है, सबसे तेज और सबसे धीमी ट्रेन जैसी ऐसी कई जानकारियां हैं जिनके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं. आज हम आपको एक और दिलचस्प बात बताने जा रहे हैं. आपने देखा होगा कि ट्रेन के डिब्बों पर 5 डिजिट की एक संख्या लिखी होती है. क्या आप जानते हैं कि यह नंबर क्यों लिखा जाता है?



 

 

 

यह बेहद खास नंबर होता है. इस नंबर से पता चलता है कि उस डिब्बे का निर्माण कौन से साल में हुआ था. इसके अलावा वह कौन सी श्रेणी का डिब्बा है. इन पांच अंकों में से शुरुआती 2 उस डिब्बे के बनने का साल बताते हैं. वहीं, अगले 3 नंबर उसकी श्रेणी को इंगित करते हैं. उदाहरण के लिए अगर किसी ट्रेन के डिब्बे पर 97338 लिखा है तो इसका मतलब है कि वह डिब्बा 1997 में बना और वह स्लीपर श्रेणी का डिब्बा है. इसकी तरह अगर किसी डिब्बे पर 11023 लिखा है तो इसका मतलब वह डिब्बा 2011 में बना और उसकी श्रेणी एसी फर्स्ट क्लास है.

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : बड़े मुड़पार गांव में 'एक पेड़ मां के नाम' तहत संकल्प के साथ प्रधानमंत्री आवास हितग्राही के घर एवं विद्यालय परिसर में किया गया फलदार पौधरोपण, सरपंच, उपसरपंच सहित प्राचार्य रहे मौजूद

 

 

 

आखिरी के तीन नंबरों का वर्गीकरण

001-025 एसी फर्स्ट क्लास026-050- कंपोजिट 1एसी+एसी 2टी051-100- एसी 2टी101-150- एसी 3टी151-200- चेयरकार201-400- स्लीपर क्लास401-600- जनरल डिब्बा601-700- सेकेंड क्लास सिटिंग, जनशताब्दी चेयरकार701-800- सिटिंग व लगेज रैक801 व उससे आगे- पेंट्रीकार, जेनरेटर व मेल यान

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : चारपारा में 'पर्यावरण जनजागरूकता' कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत सदस्य पूर्णिमा चंद्रप्रकाश खूंटे हुई शामिल, स्कूल परिसर और पंचायत भवन में किया पौधरोपण, जिला पंचायत सदस्य ने अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील

 

 

 

क्यों दिया जाता है लोको पायलट छल्ला

आपने ऐसा भी कई बार देखा होगा कि लोको पायलट को स्टेशन पर लोहे का छल्ला दिया जाता है. ये काफी पुरानी प्रैक्टिस है और अब धीरे-धीरे इसे बंद किया जा रहा है. हालांकि, अब भी कई रूट्स पर इसे जारी रखा गया है. यह छल्ला स्टेशन मास्टर द्वारा लोको पायलट को दिया जाता है. स्टेशन मास्टर ड्राइवर को यह छल्ला देकर बताता है कि आगे रास्ता बिलकुल साफ है और आप ट्रेन लेकर आगे बढ़ सकते हैं. जब ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुंच जाती है तो ड्राइवर इसे जमा कर देता है. हालांकि, अब ट्रेन में ट्रैक सर्किट सिस्टम आते हैं इसलिए धीरे-धीरे ये चलन खत्म हो रहा है.

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : छपोरा गांव के पंचायत भवन में 'एक पेड़ मां के नाम' के तहत किया गया पौधरोपण, SDM, मालखरौदा जनपद पंचायत उपाध्यक्ष, CEO रहे मौजूद, मालखरौदा जपं उपाध्यक्ष ने लोगों से अभियान में जुड़ने की अपील की

error: Content is protected !!