विनोद खन्ना के फैसले से हलकान हुए ‘मीरा’ के प्रोड्यूसर, हेमा मालिनी को रोज देने लगे नोटों से भरा लिफाफा, फिर हुआ ये….

मुंबई: 1979 में रिलीज हुई फिल्म ‘मीरा’ (Meera) की मेकिंग 1975 में शुरू हुई थी. इस फिल्म के बनने में इतना लंबा समय इसलिए लगा, क्योंकि हेमा मालिनी (Hema Malini) ने तो मीरा के रोल के लिए हामी भर दी थी लेकिन उनके अपोजिट एक्टर नहीं मिल रहे थे. ‘मीरा’ के लिए अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) मेकर्स की पहली पसंद थे लेकिन उन दिनों कई फिल्मों में बिजी होने की वजह से वह फिल्म नहीं कर पाए.



 

 

 

दरअसल, हेमा मालिनी को जब ‘मीरा’ फिल्म का ऑफर मिला तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और अपने कुछ सीन की शूटिंग भी शुरू कर दी. वह अपने दौर की बड़ी स्टार थी, लिहाजा उनकी फीस भी बहुत ज्यादा थी. मीरा के पति के रोल की कास्टिंग नहीं हो पा रही थी इसके लिए गुलजार को और प्रेम जी को बहुत मुश्किल हुई थी. पहले मीरा के पति राजा भोजराज के लिए अमिताभ बच्चन को ऑफर मिला था लेकिन उन दिनों ‘शोले’, ‘दीवार’, ‘चुपके-चुपके’ जैसी कई फिल्मों की वजह से अमिताभ बिजी चल रहे थे तो उनकी डेट मिल पाने मुश्किल थी. ऐसे में हां कहने के बावजूद काम नहीं कर पाए.

 

 

 

विनोद खन्ना ‘मीरा’ के लिए हुए तैयार
जब अमिताभ बच्चन ने फिल्म करने से मना कर दिया तो कई महीनों तक कोई बड़ा एक्टर नहीं मिला. ऐसे में नए एक्टर पर दांव खेलने का सोचा गया लेकिन प्रोड्यूसर प्रेमजी इसके लिए तैयार नहीं हुए. एक बार फिर से ‘मीरा’ के लिए एक्टर की तलाश शुरू हुई. आखिरकार विनोद खन्ना फिल्म के लिए हामी भर दी. विनोद खन्ना ने शूटिंग के लिए डेट भी दे दी. शूटिंग शुरू हुई थी कि इसी दौरान इंडस्ट्री में भगवान रजनीश को लेकर आध्यात्मिक लहर आई. इसके आगोश में विनोद खन्ना भी आ गए.

 

 

 

विनोद के रजनीश प्रेम को देख मेकर्स के उड़ गए होश
विनोद खन्ना तो इस तरह से ओशो भक्ति में लीन हो गए कि स्टारडम के पीक पर बने बनाए करियर को किनारा कर सन्यासी बन अमेरिका के रजनीशपुरम में बसने की घोषणा भी कर दी. विनोद खन्ना की घोषणा ने पहले से ही मुसीबतों में घिरे निर्माता प्रेमजी को मुश्किल में डाल दिया. समय बीतने के साथ फिल्म ‘मीरा’ का बजट भी बढ़ता जा रहा था. हेमा मालिनी की फीस देना मेकर्स को भारी पड़ने लगा था. इसलिए उन्होंने एक्ट्रेस से अनुरोध किया कि वह हर दिन के हिसाब से पेमेंट ले लें, जिसे हेमा मालिनी ने मान लिया था. इसके बाद हर दिन शूटिंग के बाद प्रेमजी नोटों से भरा लिफाफा हेमा मालिनी को देने लगें.

 

 

 

‘मीरा’ बॉक्स ऑफिस पर नहीं हुई सफल
वहीं विनोद खन्ना से फिल्म ‘मीरा’ पूरा करने की विनती की गई. विनोद ने वादा किया कि फिल्म की शूटिंग निपटाने के बाद ही सन्यासी बनने की तरफ प्रस्थान करेंगें. ऐसे में साल 1975 में जो फिल्म शुरू हुई थी वह 1979 में जाकर रिलीज हो पाई. इस फिल्म को बनाने में अच्छा खासा पैसा खर्च हो चुका था और उम्मीद थी कि फिल्म रिलीज होने के बाद भरपाई हो जाएगी. लेकिन अफसोस ‘मीरा’ बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हो पाई.

error: Content is protected !!