मीना कुमारी की जिंदगी…एक दुख भरा अफ्साना, नरगिस दत्त ने क्यों कहा था- ‘मौत मुबारक हो…’ जानिए…

नई दिल्ली: मीना कुमारी (Meena kumari) एक बेहतरीन एक्ट्रेस थीं. ट्रेजेडी क्वीन की जिंदगी फिल्मी पर्दे पर उनके किरदारों की तरह एक ट्रेजेडी थी. उन्होंने दौलत-शोहरत खूब कमाई. एक जमाना ऐसा था कि जहीन अदाकारा को देखकर एक्टर्स अपनी लाइन तक भूल जाते थे. देशभर में उनके लाखों चाहनेवाले थे, मगर उनकी रूह को सुकून नहीं था. उन्होंने अपनी दर्दभरी जिंदगी को फिल्मों और अफ्सानों में बयां किया. उन्होंने अपनी जिंदगी का एक तर्जुमा अपनी लिखी ग़ज़ल- ‘चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा’ में बयां किया है.



 

 

 

मीना कुमारी जब छोटी थीं, तब उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. छोटी उम्र में ही उनके नन्हे कंधों पर घर चलाने का बोझ आ गया था. उन्होंने 7 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था. इसके बावजूद उन्हें पिता और परिवार से वह प्यार और दुलार नहीं मिला जो हर एक बच्चे की चाहत और जरूरत होती है.

 

 

 

मीना कुमारी के दिल में तब प्यार की उम्मीद जागी, जब उनकी मुलाकात ‘पाकीजा’ के डायरेक्टर कमाल अमरोही से हुई. उन्होंने 18 साल की उम्र में डायरेक्टर से ब्याह कर लिया, मगर शादी के बाद कमाल से उनके झगड़े होते रहते थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कमाल ने उन पर दूसरे मर्दों से बात करने पर रोक लगा दी थी. इतना ही नहीं, कमाल का असिस्टेंट भी उन पर हाथ उठाने की गुस्ताखी कर चुका था.

 

 

 

मीना कुमारी, कमाल का घर छोड़कर अलग रहने लगीं. उन्होंने तमाम तकलीफों के बीच नशे में सुकून खोजने की कोशिश की, मगर उन्हें शराब की ऐसी आदत पड़ी जो आखिरी दम तक नहीं छूटी. वे फिल्म ‘पाकीजा’ के शूटिंग के दौरान बीमार थीं, जिसकी रिलीज के महीनेभर बाद 1972 में उनका निधन हो गया.

 

 

मीना कुमारी के निधन की खबर से जब उनके चाहने वाले ग़म-ज़दा थे, तब एक्ट्रेस नरगिस ने उन्हें लेकर लिखा था, ‘मीना मौत मुबारक हो, इस दुनिया में अब कभी मत आना.’ दरअसल, मीना कुमारी ने जिंदगी में बहुत दुख सहा था. नरगिस इस बात को जानती थीं, इसलिए मीना को मौत की मुबारकबाद दी, इस उम्मीद से कि उन्हें शायद मौत के बाद सुकून मिल जाए.

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