Success Story: बेटे को पहले देश दुनिया घुमाया फिर सब्जी की खेती से जोड़ा, सालाना कमा रहे 10 लाख. पढ़िए..

बिहार के सीतामढ़ी जिले के डुमरा प्रखंड के गोसाईपुर टोला के गणेश महतो की सब्जी की खेती में एक अलग पहचान है। सब्जी का बेहतर उत्पादन और नये तकनीक को सबसे पहले लागू करने के लिए भी उन्हें जाना जाता है। नेट बिछाकर सब्जी की खेती उन्हीं की देन है। उनके बाद ही अन्य किसान नेट का उपयोग करने लगे। अब पूरे जिले में नेट की तकनीक फैल चुकी है। गणेश महतो सात एकड़ में सब्जी का उत्पादन करते हैं। इससे वे प्रतिवर्ष सात से दस लाख रुपये की कमाई करते हैं। उन्हें दो पुत्र हैं। बड़ा पुत्र टेकोरेटर (फूल) है। वह सब्जी खेती में भी हाथ बंटाता है।



 

 

 

 

बेटे का साथ मिलने पर खेती को बढ़ाया

छोटा बेटा सुंदर कुमार इंटर तक पढ़ाई की और सब्जी की खेती से जुड़ने की इच्छा व्यक्त की। तब महतो ने बेटे को कहा कि खेती से जुड़ने से पहले इसे समझना जरूरी है। वे चाहते थे कि पुत्र यह समझ ले कि खेती में कितना मेहनत, खर्च और आय है, तब इससे जुड़े। इस सोच के साथ पांच वर्ष पूर्व वे पुत्र सुंदर को एमपी और मुंबई ले गये। वहां खेती की तकनीकों से रूबरू कराया। एमपी में ही मैचिंग और नेट पर सब्जी की खेती को देखा। फिर घर पर पहुंचकर सुंदर ने यूट्यूब पर मैचिंग के बारे में जानकारी ली। बता दें कि खेतों में हता बांधकर ऊपर में बीज लगाया जाता है। फिर उसे खास प्लास्टिक से ढका जाता है। प्लास्टिक अंदर और बाहर सिल्वर तथा काला होता है। इसे ही मैचिंग कहते हैं। पहली बार नेट पूर्वी चंपारण के मधुबन से नेट की खरीद की थी।

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सुंदर ने संभाली खेती की बागडोर

युवा सुंदर ने पांच वर्ष पूर्व पिता से सब्जी की खेती की बागडोर संभाली। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। महतो के कारोबार को ‘सुंदर फर्म’ के नाम से जाना जाता है। सुंदर पहली बार बंगलोर से ऑनलाइन प्लास्टिक की खरीदी की और खेती शुरू की। पहले काफी कम खेत में सब्जी करते थे। बाद में सुंदर ने तीन एकड़ में खेती शुरू की। बेहतर लाभ मिलने पर चार एकड़ खेत लीज पर ले लिया। इसका सालाना 64 हजार रुपये जमीन मालिक को देता है। बताया के एक एकड़ में लौकी है। एक दिन बीच कर 150-200 पीस निकलता है। तीन एकड़ में करैला है, जिसे चार दिन पर तोड़ा जाता है। दो से तीन क्विंटल निकलता है। तीन एकड़ में खीरा है, एक दिन बीच कर तीन से चार क्विंटल तोड़ा जाता है।

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सब्जी के खेती में 50 फीसदी की बचत

सुंदर की माने, तो सब्जी की खेती में प्रति कट्ठा 25 सौ रुपये का खर्च है। खेती में 50 फीसदी की बचत है। रेट बढ़ने पर प्रॉफिट भी बढ़ जाता है। पूरा सब्जी खेत से व्यापारी ही ले जाते हैं। खास बात कि सुंदर सब्जी की खेती में खाद के रूप में केमिकल को दरकिनार कर वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करते हैं। खेत में पटवन के लिए बिजली युक्त मोटर है। जुताई के लिए छोटा सा एक मशीन है। ट्रैक्टर का भी उपयोग होता है। बताया कि यह एक ऐसी खेती है, जिसमें एक व्यक्ति को हमेशा लगा रहना पड़ता है। हालांकि इसके एवज में लाभ मिलता भी है। बताया कि घर पर परिवार के साथ रहकर खेती से प्रतिवर्ष सात से 10 लाख की आमदनी हो रही है। वह इस पेशे से काफी खुश है।

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