Navratri 2023: 5000 साल पुराने वटवृक्ष की छाया में विराजमान है मां चौसठ योगिनी, दो एकड़ में फैला है पेड़. पढ़िए..

देवरीकला: दो एकड़ भूमि में फैले और लगभग पांच हजार वर्ष पुराने वट वृक्ष की छाया में मां चौसठ योगिनी का दरबार श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।



 

 

 

यहां दूर दराज गांवों के अलावा प्रदेश और देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। देवरी से 16 किमी दूर पनारी गांव में बिराजित मां चौसठ योगिनी के मंदिर मैं आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। यहां नवरात्र के पहले दिन से ही भक्त आना शुरू हो जाते हैं।

 

 

 

श्रद्धालु नवरात्र में चौसठ योगिनी माता को अद्वितीय तीर्थ मानते हैं। बरगद के वृक्ष से यहां हजारों की संख्या में लटके घंटे मां के प्रति आस्था को व्यक्त करते हैं। मां चौसठ योगिनी के दरबार तक पहुंचने के लिए नेशनल हाइवे 44 पर सागर और नरसिंहपुर मार्ग के बीच पड़ने वाले महाराजपुर से दो किलोमीटर दूरी से रास्ता है। पनारी गांव में जिस बरगद के वृक्ष के नीचे मां चौसठ योगिनी का दरबार स्थापित है, वह बरगद का पेड़ दो एकड़ एरिया में फैला हुआ है। इस बरगद के विशाल वृक्ष की जटाओं व सभी दिशाओं में मां जगत जननी के विभिन्न स्वरूपों में चौसठ योगिनी की प्रतिमाएं विराजमान हैं।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : जनपद पंचायत सभाकक्ष में 5 कर्मचारियों को शॉल, मोमेंटो, श्रीफल भेंटकर सम्मान पूर्वक दी गई विदाई, जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

 

 

 

इस तीर्थ में हजारों साल पुराने विशाल बरगद की अदभुत उत्पत्ति, संरचना मध्यप्रदेश में अद्वितीय है। बरगद का यह एक वृक्ष फैलकर दो एकड़ भूमि में अपनी मनोहारी छटा बिखेरता है। एक वृक्ष से निकले तने से पूरे क्षेत्र में चार सौ से अधिक तने और अगिनत डालियां ही दिखाई देती हैं।

 

 

 

 

पाषाण प्रतिमाएं वट वृक्ष की जड़ों में विराजी हैं

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : जनपद पंचायत सभाकक्ष में 5 कर्मचारियों को शॉल, मोमेंटो, श्रीफल भेंटकर सम्मान पूर्वक दी गई विदाई, जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

मंदिर के 85 साल के वृद्ध पुजारी ने बताया कि मां चौसठ योगिनी बरगद में से प्रगट हुईं और मां के विभिन्न स्वरूपों की पाषण प्रतिमाएं बरगद के बढ़ते स्वरूप के कारण जड़ों में जकड़ गई। 1960 में जनसहयोग से प्रतिमाओं को जीर्णशीर्ष अवस्था से निकालकर पुनर्स्थापित कराया गया। यह बरगद का वृक्ष पांच हजार साल पुराना बताया जाता है। जिसे चौसठ योगिनी का स्वरूप माना गया। यहां चैत्र की नवरात्र में भी मेला का आयोजन किया जाता है।

 

 

 

तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो सकता है दरबार

पनारी स्थित चौसठ योगिनी धाम प्रदेश में अनूठा तीर्थ स्थल है। यहां प्रदेश के अलावा देश के कोने-कोने से हजारों लोग दर्शन करने आते है। यह तीर्थस्थल नौरादेही अभयारण्य के पास है। यदि इसी विकसित किया जाए तो इसका लाभ अभयारण्य आने वाले सैलानियों को भी मिलेगा। लंबे समय से इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल और तीर्थ स्थल बनाए जाने की मांग की जा रही है।

इसे भी पढ़े -  Malkharouda News : जनपद पंचायत सभाकक्ष में 5 कर्मचारियों को शॉल, मोमेंटो, श्रीफल भेंटकर सम्मान पूर्वक दी गई विदाई, जनपद पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि रहे मौजूद

error: Content is protected !!