नई दिल्ली. अगर आप दिल्ली या उसके आसपास रहते हैं तो संभव है कि आपके घर में पारस मिल्क आता हो. अगर नहीं भी आता तो भी पारस मिल्क कंपनी के बारे में पता सभी को होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह कंपनी हर दिन करीब 36 लाख लीटर दूध बेच देती है. दूध बिक्री के मामले में यह कंपनी मदर डेयरी व अमूल जैसी बड़ी कंपनियों को भी टक्कर देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी की शुरुआत मात्र 60 लीटर दूध की बिक्री से हुई थी. इसके संस्थापक का नाम वेद राम नागर है जिनका निधन 2005 में हो गया था.
1933 में जन्मे वेद राम नागर ने 27 साल की उम्र में एक छोटे दूधिए का काम शुरू किया था. तब वह केवल ही 50-60 लीटर प्रतिदिन दूध बेचते थे. वेदराम ने सबसे पहली फर्म 1980 में स्थापित की थी. इसके बाद 1984 में उन्होंने दूध व उससे बनने उत्पाद बनाने के लिए एक यूनिट स्थापित की. 1986 में उन्होंने वी.आर.एस. फूड के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की. 1987 में गाजियाबाद के साहिबाबाद में उन्होंने पहला बड़ा मिल्क प्लांट स्थापित किया. 1992 में गुलावठी में एक और बड़ा मिल्क प्लांट लगाया. 2004 में कंपनी ने दिल्ली-एनसीआर से बाहर पैर पसारे और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मिल्क प्लांट लगाया.
2008 में बदला नाम
2005 में वेद राम नागर का देहांत हो गया. उनके निधन के बाद 2008 में उनकी कंपनी का नाम बदलकर वेदराम एंड संस प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया. आज कंपनी 36 लाख लीटर दूध हर दिन बेचती है. इसका प्रमुख ब्रांड पारस है जिसे दिल्ली-एनसीआर में काफी ख्याति प्राप्त है. इसके अलावा कंपनी अब केवल डेयरी के व्यापार में नहीं रह गई है. वेदराम नागर के बेटों ने अब हेल्थ केयर, रीयल एस्टेट, शिक्षा व दवा उत्पादन समेत कई क्षेत्रों में कंपनी की पहचान बनाना शुरू कर दी है. यूपी के बागपत से शुरू हुआ वेदराम नागर का सफर आज देश में कई बड़े प्लांट्स के रूप में आगे बढ़ रहा है.
राज्यसभा सांसद है बेटा
वेद राम नागर के 5 बेटे हैं. इनमें से एक सुरेंद्र सिंह नागर राज्यसभा सांसद हैं. बाकी बेटे अपने पिता के बिजनेस में सक्रिय रूप से शामिल हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं. बिजनेस के अलावा वे चौ. वेद राम चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाजसेवा के क्षेत्र में अनेक कार्य कर रहे हैं. कंपनी से हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और यूपी के 5400 गांव जुड़े हुए हैं. यहां के लाखों किसानों को पशुपालन व खेती से जुड़े सामान खरीदने के लिए भी कंपनी मदद करती है.