छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में हुई हिंसक घटना में आगजनी के बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए कलेक्टर कुमार लाल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को सस्पेंड कर दिया है. उनकी जगह नए कलेक्टर के रूप में दीपक सोनी (Deepak Soni) और नए एसपी के रूप में विजय अग्रवाल की नियुक्ति की गई है. नियुक्ति के बाद दोनों ही अधिकारियों ने बलौदा बाजार पहुंचकर काम शुरू कर दिया है.
132 उपद्रवियों की हुई गिरफ्तारी
इस बीच शनिवार रात बलौदा बाजार पहुंचे और आवश्यक दिशा निर्देश दिए. इस दौरान उन्होंने 24 घंटे में मरम्मत कार्य पूरा कराने का आदेश दिया. इधर, पुलिस भी लगातार उपद्रवियों की पहचान कर रही है. शहर भर में लगे सरकारी और प्राइवेट जगहों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं. अब तक 132 उपद्रवियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जिन्हें विधिवत कोर्ट में पेश कर जेल भेजा दिए गए हैं.
आगजनी में 2.25 करोड़ से अधिक का नुकसान
बलौदा बाजार में हिंसक घटना में अब तक 9 इफआईआर दर्ज किए गए हैं, जबकि आगजनी करने वाले 132 उपद्रवियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. वहीं लोक निर्माण विभाग ने इस आगजनी के दौरान विभाग का 2.25 करोड़ रुपये का नुकसान का आंकलन किया है, जिसमें से 1.97 करोड़ रुपये का सिविल नुकसान और 28 लाख रुपये का इलेक्ट्रॉनिक नुकसान शामिल है.
हालांकि जिला पंचायत में हुए नुकसान का आकलन होना बाकी है. साथ ही पुलिस विभाग के तरफ से लगाए गए सीसीटीवी सर्विलेंस के बड़ी संख्या में कैमरे तोड़े गए हैं और नगर पालिका के भी बहुत से नुकसान हुए हैं.
जांच के लिए चार दलों की गठन
वहीं सियासी दलों ने घटना को राजनीतिक का अखाड़ा बना दिया है. दोनों प्रमुख दलों ने जांच दल गठित किया है. इस घटना के लिए अब तक जांच के लिए चार दलों का गठन किया जा चुका है, जिसमें कांग्रेस की सात सदस्यीय, भाजपा की पांच सदस्यीय, न्यायिक आयोग की एक सदस्यीय और एसआईटी की 21 सदस्यीय टीम जांच कर रही है.
कैसे हिंसा को रोकने में नाकाम रहे कलेक्टर और एसएसपी?
बता दें कि सतनाम समाज ने बलौदा बाजार में प्रदर्शन करने और ज्ञापन सौंपने की अनुमति मांगी थी. प्रशासन की तैयारी बताती है कि प्रशासनिक अधिकारियों को पहले से आभास हो गया था कि इस तरह की घटना हो सकती है, क्योंकि सतनाम समाज से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट कर उग्र प्रदर्शन करने की जानकारी शेयर कर रहे थे. यह पोस्ट न सिर्फ बलौदा बाजार में बल्कि पूरे प्रदेश में फैल रहा था. इसके बावजूद 10 जून को हिंसा और आगजनी की घटनाओं को रोकने में कलेक्टर कुमार लाल चौहान और एसएसपी सदानंद कुमार नाकाम रहे.
एसपी कार्यालय के साथ 5 विभागों को पहुंचा नुकसान
हालांकि आगजनी के बाद पुलिस एक्शन मोड में आई, लेकिन तब तक संयुक्त जिला कार्यालय में उपद्रवियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दे दिया था. इस आगजनी में एसपी कार्यालय के साथ ही आबकारी विभाग, आयुर्वेद विभाग, सांख्यिकी विभाग, आदिवासी विभाग, ट्रेजरी कोष को काफी नुकसान हुआ. इस दौरान दस्तावेज और कंप्यूटर जल गए. बता दें कि आजादी के बाद पहली बार ऐसा घटना हुआ है, जब प्रदेश ही नहीं देश में कलेक्ट्रेट परिसर को आग के हवाले कर दिया गया.
इस घटना से कई विभागों के काम बेपटरी हो गए हैं. घटना से एसपी का कार्यालय भी खराब हो गया था, उनके बैठने की जगह तक नहीं बची थी. ऐसे में अब जिले के नए कलेक्टर और एसपी ने पदभार ग्रहण करने के बाद जनहित के काम को पटरी पर लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है.
हिंसा नहीं, शांति की जरूरत
छत्तीसगढ़ और बलौदा बाजार जिला की पहचान हमेशा से शांत जगहों के रूप में होती थी. बाबा गुरु घासीदास की जन्म स्थली और तपोभूमि गिरौदपुरी धाम बलौदा बाजार के धार्मिक स्थल के साथ ही पर्यटन और संस्कृति विरासत के रूप में जाना जाता है. ‘मनखे मनखे एक समान और अहिंसा’ का संदेश देने वाले सतनाम समाज के प्रवर्तक गुरु बाबा गुरु घासीदास के तपोभूमि क्षेत्र माने जाने वाले बलौदा बाजार जिले में अब तक जो भी घटनाएं हुई हैं उनमें बाहरी तत्वों का हाथ रहा है. यही वजह है कि प्रशासन सतनाम समाज के प्रदर्शन को उस रूप में नहीं लिया और प्रदर्शन के दौरान हिंसक झड़प और आगजनी हो गई.
जानकारी के मुताबिक, अब तक के जांच में ये सामने आया है कि इस घटना के पीछे भी बाहरी तत्वों का हाथ था. दरअसल, पुलिस ने लिखित कथन दिया है कि उत्पात मचाकर तोड़फोड़ और आगजनी भीम आर्मी, भीम रेजिमेंट और भीम कांतीवीर सेना के कार्यकर्ता, पदाधिकारियों ने किया है. ऐसे में स्थानीय लोगों में और सतनाम समाज में शांति व्यवस्था बहाल करने की जरूरत महसूस की जा रही है.
बलौदा बाजार में विरोध प्रदर्शन क्यों?
सतनामी समाज के प्रवर्तक गुरु बाबा गुरु घासीदास की तपोभूमि गिरौधपुरी से लगे महकोनी गांव के अमर गुफा स्थित तीन जैतखाम को असामाजिक तत्वों ने 15-16 मई की रात आरी से कटकर गिरा दिया था. इस घटना की जानकारी पूजा करने वाले पुजारी ने समाज प्रमुखों को दी. जिसके बाद सतनामी समाज के लोग एफआईआर दर्ज कराने गिरौदपुरी पुलिस चौकी पहुंचे.
आरोप है कि घटना को पुलिस बहुत हल्के में लेते हुए एफआईआर दर्ज नहीं की. जैतखाम काटे जाने के कारण सतनामी समाज खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे. यही वजह रही कि समाज के लोग वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिए और देखते ही देखते मामला पूरे राज्य में गया. इसके बाद इस मामले की शिकायत एसपी से की गई. वहीं उग्र प्रदर्शन की चेतावनी के बाद 17 मई को पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया.
सवालों के घेरे में क्यों पुलिस की कार्यप्रणाली?
एफआईआर में देरी, आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी और पूरी कार्रवाई में पारदर्शिता का अभाव ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए. इतना ही नहीं बलौदा बाजार जिले में पुलिस द्वारा अपराधियों को बदले जाने की परंपरा ने इस मामले में भी संदेह पैदा किया. बिहार के जिन तीन मजदूरों को पुलिस सैड कम काटने के मामले में गिरफ्तार किया गया, उन्हें भी कुछ दिनों बाद जमानत मिल गई और वो छूटते ही प्रदेश से गायब हो गए और यही वजह थी सतनामी समाज में विद्रोह पैदा हो गया.
सीबीआई जांच की मांग
गिरोदपुरी धाम के अमरगुफा के जैतखाम को अज्ञात आरोपी ने 15-16 मई की रात तोड़फोड़ कर जैतखाम को नष्ट करने की कोशिश की. आरोपियों के खिलाफ गिरौदपुरी पुलिस चौकी में आईपीसी की धारा 295 के तहत मामला दर्ज किया गया. वहीं दूसरी ओर जैतखाम को अपमानित किए जाने के मामले में सतनाम समाज के लोगों के भीतर गुस्सा फूट पड़ा. बाबा गुरु घासीदास को मानने वाले तपोभूमि गिरौदपुरी आने वाले श्रद्धालु जैतखाम काटे जाने से अमरपुर की ओर जाने लगे और प्रदर्शन व कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस पर दबाव बनाने लगे.
ठेकेदारों को बकाया रुपये नहीं दिए जाने के बाद जैतखाम में की गई तोड़फोड़
इधर, पुलिस बढ़ते दबाव के बीच आरोपी की पतासाजी कर रही थी. पुलिस के मुताबिक, जांच के दौरान पता चला कि भोजराम अजगल्ले जो कि ठेकेदारी का काम करता है उसके द्वारा गांव महकोनी में नल जल मिशन के तहत पानी टंकी का निर्माण किया जा रहा था. जिसका ठेका उसने 4.50 लाख में आरोपियों को दिया था. शुरुआत में ठेकेदार ने 1 लाख रुपये ही भुगतान किया गया था, जबकि कार्य 90 फीसदी हो जाने पर भी बाकी रकम का भुगतान नहीं किया जा रहा था.
पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने कार्य का भुगतान मांगने पर ठेकेदार ने गाली गलौज दिया था. पुलिस अपने संपूर्ण जांच और विवेचना क्रम में ग्राम महकोनी में नल जल योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण करने वाले 03 आरोपियों को दबोचा. जिनसे कड़ाई से पूछताछ पर तीनों आरोपियों ने अमर गुफा में स्थित जैतखाम को काटना और लोहे के गेट में तोड़फोड़ करना स्वीकार किया.
ठेकेदार से नाराज आरोपियों ने अमर गुफा में तोड़फोड़ की बनाई थी योजना
आरोपियों से पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई कि सभी आरोपी ग्राम महकोनी में नल जल योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण ठेकेदार भोजराम अजगल्ले के माध्यम से ठेका राशि 4.50 लाख में कर रहे थे. जिसका काम लगभग 90 फीसदी पूरा होने के बाद भी भोजराम अजगल्ले ने बकाया राशि आरोपियों को नहीं दिया था. आरोपियों ने बार-बार बकाया रकम मांगा, लेकिन ठेकेदार रकम नहीं दी, जिसके कारण ठेकेदार से नाराज आरोपियों ने अमर गुफा में तोड़फोड़ करने की योजना बना डाली.
योजना के अनुसार, तीनों आरोपियों ने शराब का सेवन कर 15 मई 2024 की रात 11.30 बजे लगभग अपनी बजाज मोटरसाइकिल में बैठकर आरी और अन्य सामान लेकर अमर गुफा गए. तीनों ने गुस्से में आकर सतनामी समाज के प्रतीक जैतखाम को आरी से काट दिया और लोहे के गेट को उखाड़ कर तोड़फोड़ कर दिया.
जैतखाम तोड़फोड़ की घटना का तार बिहार से जुड़ा
पुलिस ने जांच के दौरान आरोपियों से घटना में प्रयुक्त आरी और मोटरसाइकिल जब्त किया है और तीनों आरोपियों को विधिवत्त गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश कर उन्हें जेल भेज दिया. गिरफ्तार किए गए आरोपियों में बिहार के सहरसा निवासी सल्टू कुमार, पिंटू कुमार और रघुनंदन कुमार हैं जो कि वर्तमान में ग्राम महकोनी पुलिस चौकी गिरौदपुरी में रह रहे शामिल हैं.
बता दें कि पुलिस की बताई पैसे वाली कहानी से समाज में और गुस्सा बढ़ने लगा और समाज के लोगों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करने लगे. पुलिस के द्वारा बताई गई बातों के बाद समाज ने सीबीआई जांच की मांग की.
पूर्व में हुई घटनाओं का जिक्र
अमर गुफा के तीन जैतखाम काटे जाने के अलावा पिछले कुछ अरसे और वर्षों में हुए सतनामी समाज से जुड़े मामले से भी समाज में गुस्सा था. बताया जा रहा है कि पूर्व में बिलासपुर के बोडसरा, कबीरधाम व अन्य जिलों में सतनामी समाज संबंधी विभिन्न मुद्दो को लेकर समाज के लोग व्यापक प्रदर्शन की तैयारी की. साथ ही 10 जून को दशहरा मैदान बलौदा बाजार में धरना स्थल के रूप में घोषित कर प्रदर्शन आयोजित किया.
सुरक्षा व्यवस्था में कैसे चूक गई पुलिस?
बड़ौदा बाजार के दशहरा मैदान में 10 जून को आयोजित सतनामी समाज के प्रदर्शन के दौरान सबसे बड़ी चूक सुरक्षा इंटेलिजेंस के रूप में हुई मानी जा रही है. सुरक्षा प्रबंध के लिए पुलिस बल लगाने के साथ ही मजिस्ट्रियल ड्यूटी भी लगाई गई थी, लेकिन इसके बाद भी पुलिस के अधिकारियों ने भीड़ में लाठी डंडा, पेट्रोल बम और पत्थर से भरी थैलियों को क्यों नहीं देख पाए. यह भी अनुमान नहीं लगा पाए कि इतनी बड़ी संख्या में भीड़ क्यों एकत्रित की जा रही है? इतनी बड़ी भीड़ जब कलेक्ट्रेट के लिए आगे बढ़ेगी तो किस तरह की चुनौतियां सामने आएगी.
अधिकारी और कर्मचारियों ने यह भी तय नहीं कर पाए कि दशहरा मैदान से लगभग 2 किलोमीटर दूर कलेक्ट्रेट परिसर तक इतनी बड़ी संख्या में लोगों को क्यों ले जाया जा रहा है? इसके अलावा जब भीड़ आगे बढ़ने लगी तब कलेक्टर और एसपी गायब कहां हो गए थे?
क्यों पुलिस द्वारा सतनामी समाज को रोकने का प्रयास नहीं किया गया?
हालांकि एसपी सदानंद कुमार ने कहा कि हम मौके पर थे, अगर यह सच मान लिया जाए तब निर्णय लेने में चूक किसने की. यह बात भी सामने आ रही है कि कलेक्टर और एसीपी को सतनामी समाज ने पत्र देने की बात कही थी. ऐसे में गार्डन चौक पर कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उस जगह पर मौजूद रहकर सतनामी समाज का ज्ञापन क्यों नहीं लिया? गार्डन चौक से सतनामी समाज के लोग आगे बढ़ने लगे तो उन्हें रोकने के लिए पुलिस प्रयास नहीं की? न ही लाठी चार्ज या सख्त एक्शन ली. पुलिस के अधिकारी कर्मचारी चक्रपाणि स्कूल तक प्रदर्शनकारियों को आने का इंतजार करते रहे.
चक्रपाणि स्कूल के पास बने बैरिकेट्स को जब तोड़ा गया और उपद्रवियों ने जब फायर ब्रिगेड की गाड़ी को आज के हवाले किया तो पुलिस एक्शन मोड में आई. हालांकि तब तक उपद्रवी कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर तोड़फोड़ और आगजनी को अंजाम देना शुरू कर दिया था. बता दें कि सतनामी समाज का प्रदर्शन पहले तो शांति पूर्ण ढंग से चल रहा था, लेकिन दशहरा मैदान से ही यह रैली नेतृत्वविहीन हो गई और समाज की रैली में शामिल होने पहुंचे लोग उपद्रवी हो गए और उत्पात मचाने लगे.
आयोजनकर्ताओं का नाम सार्वजनिक
प्रदर्शन में आयोजन का नेतृत्वकर्ता किशोर नवरंगे भीम कांतीवीर अध्यक्ष, दीपक घृतलहरे प्रगतिशील सतनामी समाज, मोहन बंजारे प्रगतिशील सतनामी समाज युवा प्रदेश अध्यक्ष, सुशील बंजारे प्रगतिशील सतनामी समाज युवा प्रकोष्ट, जितेन्द्र नौरंगे सतनाम सेवा समिती जिला अध्यक्ष, ओमप्रकाश खुटे सतनामी समाज वरिष्ठ, भुनेश्वर डहरिया, दिनेश चतुर्वेदी भीम रेजिमेंट प्रदेश अध्यक्ष थे, जिनके नेतृत्व में शक्ति प्रदर्शन के रूप में आस पास पैदल रैली कर संयुक्त जिला कार्यालय का घेराव किये जाने की योजना थी.
सरकार न्यायिक जांच आयोग की घोषणा करने में क्यों की लेट?
समाज 24 दिनों से प्रदर्शन कर रहा था, समाज की मांग थी मामले की सीबीआई जांच हो, लेकिन प्रशासन और सरकार कोई कदम नहीं उठाया. जब समाज ने 10 जून को उग्र प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया तब एक दिन पहले 9 जून को उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने न्यायिक जांच आयोग गठित किए जाने की घोषणा की, लेकिन यह घोषणा काफी नहीं थी. सरकार के निर्णय से पहले ही आंदोलन की रूप रेखा तैयार हो गया था. साथ ही लोग बलौदा बाजार पहुंचने लगे थे और इस आंदोलन को स्थगित नहीं की गई.
पत्थर, पेट्रोल और लाठी डंडा से लैस थे आंदोलनकारी
दशहरा मैदान से कलेक्ट्रेट के लिए निकले आंदोलनकारी पत्थर, पेट्रोल बम, लाठी और डंडा से लैस थे. यही उपद्रवी ने संयुक्त कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास हिंसक रूप धारणकर पत्थर बाजी कर लाठी डण्डा से पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को मारकर चोट पहुंचाते हुए संयुक्त कलेक्ट्रेड परिसर में खड़ी शासकीय और निजी मोटर साईकिल और चारपहिया वाहनों में तोड़फोड़ कर आग के हवाले कर दिया गया. साथ ही उपद्रवियों ने संयुक्त कार्यालय भवन के पुलिस कार्यालय में भी आग लगा दी, जिससे पुलिस कार्यालय और आबकारी विभाग में रिकॉर्ड जल गया है.
संयुक्त कार्यालय भवन को आग लगाने के बाद तहसील कार्यालय में खड़ी गाड़ियों और शहर के मुख्य मार्ग में लगे डिवाईडर को तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया गया. साथ ही सिटी सर्विलांस में लगे शहर के रोड में सीसीटीवी कैमरे को तोड़ दिया गया.
हटाए गए कलेक्टर और एसपी पर हुई निलंबन की कार्रवाई
बलौदा बाजार में लॉ एंड ऑर्डर को कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण पहले राज्य सरकार ने कलेक्टर कुमार लाल चौहान को और एसएसपी सदानंद कुमार को हटाया. उनकी जगह कलेक्टर के रूप में दीपक सोनी को और एसपी के रूप में विजय अग्रवाल को नियुक्त किया है. दोनों अधिकारियों ने जिले का पदभार ग्रहण करते ही एक्शन में दिख रहे हैं. उन्होंने जिले के लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की. वहीं हिंसा को भांपने और उसे रोक पाने में नाकाम रहे कलेक्टर कुमार लाल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को निलंबित कर दिया गया.
राजनीतिक गलियारों में सियासत तेज
बलौदाबाजार में हुई हिंसक घटना में आगजनी के बाद प्रदेश का सियासी पारा भी हाई हो चुका है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं. अब कांग्रेस की ओर से विधायक देवेंद्र यादव ने एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है. देवेंद्र यादव ने सीधे सीधे सरकार का इस्तीफा मांगा है. साथ ही कांग्रेस ने पूर्व मंत्री डॉ शिव डहरिया के नेतृत्व में 7 सदस्यीय जांच समिति गठित की है, जो महकोनी में काटे गए जैतखाम और बलौदा बाजार कलेक्ट्रेट परिसर का जायजा लेकर हिंसा के लिए पुलिस को नाकाम बताया.
इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के नेतृत्व में विधायकों का दल बलौदा बाजार पहुंचकर कलेक्ट्रेट का जायजा लिया और भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. दूसरी तरफ बीजेपी ने न्यायिक जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस सीबी बाजपेई के नेतृत्व में न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की और पांच सदस्यीय जांच टीम की घोषणा की जिसका नेतृत्व विधायक दयालदास बघेल कर रहे हैं.
नुकसान का आंकलन
आगजनी और तोड़फोड़ से हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है. लोक निर्माण विभाग सिविल ने अकेले कलेक्ट्रेट परिसर में हुए नुकसान का आंकलन 1.40 करोड़ की है. अभी इलेक्ट्रिक और मेंटेनेंस विभाग का सर्वे होना बाकी है. साथ ही जो वाहनों को नुकसान हुआ है उनका भी नुकसान का आंकलन होना बाकी है. मरम्मत कार्य में लगने वाली लगात की बात की जाए तो अभी कलेक्ट्रेट परिसर, तहसील कार्यालय, शहर में सीसीटीवी, डिवाइड में भी नुकसान हुआ है, जिसे अलग अलग विभाग ठीक करेंगे.