शिलाजीत में ऐसा क्या होता है, जिससे शरीर को मिलती है बेपनाह ताकत, क्या आपको पता है?

हिमालय समेत तमाम ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों की चट्टानों से मिलने वाले शिलाजीत का इस्तेमाल सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में हो रहा है. मूलरूप से इसका स्रोत मध्य एशिया के पहाड़ों में है.



 

 

 

वहीं, पाकिस्तान में गिलगिट-बाल्टिस्तान के पहाड़ों से सबसे ज्यादा निकाला जाता है. रिपोर्ट्स के अनुसार इसका रंग सफेद से लेकर गाढ़ा भूरा के बीच कुछ भी हो सकता है. छूने में ये काफी चिपचिपा होता है. हालांकि ज्यादातर यह भूरे रंग यानी ब्राउन कलर का ही होता है. अक्सर देखने में तारकोल जैसा लगता है और सूख जाने पर चमकीला हो जाता है. आयुर्वेद में इसे बेहद ही जरूरी औषधि माना जाता है.

 

 

सर्दियों के दौरान सांस से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं. ऐसे में शिलाजीत एक कफ निवारक के तौर पर भी काम करता है जो सांस से जुड़ी दिक्कतों से राहत पहुंचाता है. इसमें मौजूद प्राकृतिक एंटी इंफ्लामेटरी गुण सांस संबंधी बीमारियों से राहत दिलाते हैं. इसमें खनिज, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. यह फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस को कम करता है.

 

 

 

साथ ही साथ बॉडी में एनर्जी बढ़ाने के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. रिपोर्ट्स की मानें तो इसमें फुलविक एसिड होता है जो शरीर को मिनरल बेहतर ढंग से अब्सॉर्ब करने में मदद करता है. यह एसिड एनर्जी प्रोडक्शन को बढ़ाता है और थकान को कम करता है.
शिलाजीत में ह्यूमिक एसिड की मात्रा भी होती है. यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और मांसपेशियों को मजबूत रखने में मददगार है. मांसपेशियों में दर्द और थकान का कारण बनने वाली सूजन को कम करता है, जिससे काफी तेज रिकवरी होती है. शिलाजीत में कई मिनरल्स पाए जाते हैं, जिनमें लोहा, तांबा, मैग्नीशियम, कैल्शियम आदि शामिल हैं.

 

 

 

रिपोर्ट्स के मुताबिक शिलाजीत को दूध, सिरका या सूप में मिलाकर पीना फायदेमंद होता है, मगर इसे जूस के साथ नहीं मिलाना चाहिए. शिलाजीत खाने के बाद हल्का भोजन करना चाहिए. साथ ही, फास्ट फूड से परहेज करना चाहिए. कोई भी व्यक्ति इसका सेवन लंबे समय तक कर सकता है. लेकिन जीवन भर इसका सेवन नहीं किया जा सकता है.असली शिलाजीत की कीमत अधिक होने के कारण बाजार में नकली शिलाजीत भी बेचा जाता है. नकली शिलाजीत स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.

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