नेपाल में विमान क्यों बन जाते हैं आग का गोला, उड़ानों के लिए क्यों खतरनाक देश है नेपाल

नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक विमान क्रैश हो गया है। प्लेन में सवार 19 लोगों में से 18 की मौत हो गई है। वहीं घायल पायलट कैप्टन एम. शाक्य को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह प्लेन काठमांडू से पोखरा जाने वाला था, जब यह हादसा हुआ। दरअसल, प्लेन ने सुबह करीब 11 बजे त्रिभुवन एयरपोर्ट से उड़ान भरी। इसके कुछ ही देर के अंदर यह क्रैश हो गया। 9N-AME प्लेन सौर्य एयरलाइंस का था। हादसे में मारे गए लोगों में से 17 सौर्य एयरलाइंस के ही स्टाफ थे, जबकि बाकी 2 क्रू मेंबर्स थे। बताया जा रहा है कि जो विमान क्रैश हुआ है, वह 21 साल पुराना था।



हादसे के तुरंत बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। घटनास्थल से सामने आई तस्वीरों में धुएं का गुबार उठता दिख रहा है। हालांकि, हादसा किस वजह से हुआ इसकी जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। इसी तरह का एक हादसा इसी साल मई में भी हुआ था, जब ऐसे ही विमान हादसे में 22 लोग मारे गए थे। 1992 में नेपाल में अब तक का सबसे भीषण विमान हादसा हुआ था, जिसमें 167 लोग मारे गए थे। आइए- हादसों की वजह समझते हैं।

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30-40 साल पुराने विमानों से ही चलाया जा रहा है काम
हिमालयन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में जितने भी एयरपोर्ट हैं, वो ज्यादातर पहाड़ों से घिरे हैं। इसके अलावा, 30-40 साल से ज्यादा पुराने विमानों को ही अब तक उड़ाया जा रहा है, जो हादसों की बड़ी वजह है। जनवरी, 2023 में जो विमान हादसा हुआ था, वो 42 साल पुराना था। साथ ही खराब नियमन भी उड़ान के लिए नेपाल को सबसे खतरनाक देश बनाता है।

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खूबसूरत पहाड़ बन जाते हैं मौत का सफर
नेपाल चारों ओर हिमालय के खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है। ज्यादातर एयरपोर्ट पहाड़ों के बीच घाटियों में बनाए गए हैं। इन्हीं संकरी घाटियों की वजह से यहां से आने-जाने वाले विमानों को टर्न लेने में कठिनाई होती है। खुद त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट जो देश की राजधानी काठमांडू में स्थित है, वो भी हिमालय के पहाड़ों से घिरा हुआ है। नेपाल के सिविल एविएशन अथॉरिटी की 2019 की सेफ्टी रिपोर्ट के मुताबिक देश की खतरनाक भौगोलिक स्थिति भी पायलटों के सामने बड़ी चुनौती होती है।

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