ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में छुपे ‘रत्न भंडार’ को लेकर हमेशा से लोगों के मन में तरह तरह की भ्रतियां रहीं हैं। जिसमें माना जाता रहा है कि इस मंदिर में रखे खजाने की रक्षा स्वयं शेष नाग करते हैं।
जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया के लिए “तीन एसओपी तैयार की गई हैं, जिसमें से एक रत्न भंडार को फिर से खोलने से संबंधित है, दूसरा अस्थायी रत्न भंडार के प्रबंधन के लिए है और तीसरा कीमती सामान की सूची से संबंधित है.” पहले आशंका जताई जा रही थी कि खजाने के अंदर सांप हैं, इसलिए सांप को पकड़ने वालों की टीम बुलाई गई। लेकिन वहां कोई सांप नहीं मिला।
जिसमें कईं सांप रत्न भंडार की रक्षा में फन फैलाए इसकी रक्षा करते है। लेकिन अभी हाल ही में खोले गए खजाने के दरवाजे से ऐसा कुछ नही देखने को मिला।
शुभ मुहूर्त में खोले गए रत्न भंडार के द्वार बुलाया गया था सांप पकड़ने वाला कीमती सामान को ले जाने के लिए लकड़ी के 6 संदूक
12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर में रखे रत्न भंडार का दरवाजा आखिरकार 46 साल बाद रविवार के दिन दोपहर को खोला गया। इस दरवाजे के खुलने के बाद हर किसी के मन में प्रश्न उठ रहा था कि इसके अंदर कितना रत्न भंडार हो सकता है। कहीं सांप इसे निकालने में कोई अड़चन तो नही डालेंगें?
इससे पहले जगन्नाथ मंदिर का यह पट 1978 में खोला गया था। अब 46 साल बाद एक बार फिर से इन आभूषणों, मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने से लेकर भंडार गृह की मरम्मत करने के लिए रत्न भंडार को खोला गया है, इस मंदिर के पट को खोलने से पहले एक समिति बनाई गई. इसके बाद राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के सदस्यों के सामने दोपहर करीब 12 बजे मंदिर में प्रवेश करने के लिए अनुष्ठान किया गया, इसके बाद शुभ मुहूर्त पर रत्न भंडार को दोपहर 1.28 बजे पुनः खोला गया।
कीमती सामान को ले जाने के लिए लकड़ी के 6 संदूक
रत्न भंडार में रखे गए कीमती सामान को रखने के लिए लकड़ी के छह संदूक मंदिर में लाए गए हैं। इन संदूकों को उपर से लकड़ी का और अंदर की सतह पीतल से जड़ित है। एक अधिकारी ने बताया कि सागवान की लकड़ी से बने ये संदूक 4.5 फुट लंबे, 2.5 फुट ऊंचे और 2.5 फुट चौड़े हैं।