डायबिटीज रोगियों की संख्या दुनियाभर के देशों के अनुसार, भारत में ज्यादा है। भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है जहां डायबिटीज रोगी पाए जाते हैं। डायबिटीज हमारे शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करती है।
मधुमेह से किडनी रोगों में बढ़ोतरी होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, खून में बढ़ा हुआ शुगर लेवल किडनी को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस ब्लड शुगर से किडनी पर ऐसा असर पड़ता है कि किडनी फेल होने तक की समस्या हो सकती है। चलिए, जानते हैं एक्सपर्ट इस बारे में क्या बताते हैं।
किडनी खराब होने के संकेत
एक्सपर्ट के अनुसार, डायबिटीज रोगियों में किडनी खराब होने से पहले ये 5 संकेत देती हैं:-
यूरिन में झाग आना
डायबिटीज के पेशेंट्स अपने यूरिन पर ध्यान दें, अगर उन्हें इसमें बुलबुले और झाग दिखाई पड़ते हैं तो समझ जाइए किडनी फिल्ट्रेशन का काम सही से नहीं कर पा रही है। कई बार इन लोगों के यूरिन में प्रोटीन भी लीक होने लगता है। इस संकेत को लोग अक्सर कॉमन मानते हैं और अनदेखा करते हैं।
रात में बार-बार पेशाब आना
डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा पेशाब आने की भी समस्या रहती है। खासकर रात के समय दिन की तुलना में ज्यादा पेशाब आता है। ऐसा तब होता है जब गुर्दे खराब होने लगते हैं, किडनी वेस्ट टॉक्सिन्स को छानने का काम सही से नहीं कर पाती है। इसलिए बार-बार पेशाब आता है।
मधुमेह का रोग शरीर में बैड टॉक्सिन्स को आसानी से बढ़ा देती है। इनमें खराब फ्लूड शामिल होता है, जो शरीर को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इन गंदे टॉक्सिन्स के कारण शरीर के कुछ हिस्सों जैसे: पैरों, हाथों और एड़ियों में सूजन होने लगती है। इस संकेत को लोग इग्नोर करते हैं और समझते हैं कि यह वेट बढ़ने की वजह से हो रहा है। इस सूजन का संकेत है कि किडनी खराब लिक्विड और सोडियम के स्तर को संतुलित नहीं कर पा रही है।
हाथों-पैरों में सूजन
पैरों में क्रैम्प
पैरों में ऐंठन, खास तौर पर रात के समय, एक और अनदेखा लक्षण हो सकता है। ये कैल्शियम और पोटेशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स में असंतुलन के कारण होते हैं, इसको संतुलित करने का काम किडनी ही करती है। अगर किडनी किसी कारण प्रभावित हो रही है तो पैरों की मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द की समस्या हो सकती है।
थकान या एनीमिया की शिकायत
किडनी अगर स्वस्थ नहीं होगी तो अपना काम सही से नहीं कर पाएगी। शरीर में थकावट बनी रहना किडनी खराब होने का संकेत है। मधुमेह रोगियों के खून में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे किडनी एक हार्मोन रिलीज करती है। यह हार्मोन एनीमिया, कमजोरी और शरीर का पीला दिखाई देना, जैसे संकेत देता है। ये सभी संकेत किडनी डैमेज के संकेत हैं।
इस समस्या की रोकथाम कैसे होगी?
एक्सपर्ट के अनुसार, डायबिटीज रोगियों को नियमित रूप से अपने यूरिन का टेस्ट करवाना चाहिए। अगर आपको इन संकेतों में से कुछ लक्षण मिलते-जुलते दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत ही किडनी की जांच करवाएं। शुरुआती स्टेज में जांच करवा ली जाए तो बीमारी का पता चल सकता है और इलाज भी समय पर शुरू किया जा सकता है।
किडनी को सुरक्षित रखने के लिए इन बातों का ख्याल रखें
ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना।
ब्लड प्रेशर मैनेजमेंट।
किडनी को स्वस्थ रखने वाली डाइट का सेवन करें।
ज्यादा पेनकिलर्स खाने से बचें।
रोज एक्सरसाइज करें।
नमक और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करें।