इक्कीसवीं सदी को विज्ञान का युग कहा जाता है. इस सदी में साइंटिस्ट नित नए-नए लाइफ चेंजिंग खोज कर रहे हैं. खतरनाक से खतरनाक और जानलेवा बीमारियों से बचने के लिए वैक्सीन और दवाइयां बनाई जा रही हैं.
लेकिन इन सबके बीच दवाइयों और इंजेक्शन को लेकर कुछ डर हमेशा बना रहता है. इंसान कई बार सोचता है कि अगर वो गलती से भी कोई गलत दवा खा ले तो क्या होगा. ठीक इसी तरह अगर इंजेक्शन देते समय हवा का बुलबुला हमारे नसों में चला जाए, तो क्या होगा? क्या इंसान मर जाएगा या फिर जिंदा रहेगा? सोशल मीडिया साइट कोरा (Qoura) पर इसी तरह का एक सवाल पूछा गया. एक यूजर ने कोरा पर सवाल किया है, ‘अगर नसों में इंजेक्शन लगाते हुए हवा का एक बुलबुला चला जाए, तो क्या इंसान मर जाएगा, आखिर क्या होगा असर?’ इस यूजर ने लोगों से इसका जवाब मांगा है.
ऐसे में बता दें कि बिल्कुल. अगर शरीर की धमनियों में हवा का बुलबुला चला जाए तो मौत निश्चित है. लेकिन इंजेक्शन लगाते हुए नसों में थोड़ी हवा घुस जाए, तो उसके बचने के चांसेस काफी ज्यादा होते हैं. यूजर के इस सवाल पर कई लोगों ने भी अपनी बात रखी है. कोरा पर खुद को डॉक्टर बताने वाली एक महिला प्रिया शर्मा ने जवाब दिया है कि अगर नसों में हवा का बुलबुला चला जाए, तो परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. हां, इससे थोड़ा फर्क पड़ता है, जिससे नसों का हरा नीला पड़ना, नसों में ब्लॉकेज, नसों का कमजोर होना, इत्यादि समस्याएं होती हैं. वहीं एक रिपोर्ट में भी इस पर बात की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर हमारे शरीर की नसों में हवा के बुलबुले घुस जाते हैं, तो वो इतने घातक नहीं होंगे, जितने धमनियों में घुसने वाले बबल्स जानलेवा साबित हो सकते हैं. धमनियों में घुसने वाली हवा से दिल का दौरा भी पड़ सकता है. बता दें कि धमनियों में रक्त तेजी से और उच्च दबाव में बहता है, जबकि नसों में यह अधिक धीमी गति से और कम दबाव में बहता है. ऐसे में धमनी के अंदर हवा का बुलबुला चला जाए, तो वो ज्यादा घातक साबित होगा.
रिपोर्ट के अनुसार शरीर की नसों या धमनियों में हवा घुस जाने की प्रक्रिया को एयर एमबॉलिज्म (Air Embolism) या गैस एमबॉलिज्म (Gas Embolism) कहते हैं. नसों और धमनियों से बहने वाला खून हवा के बुलबुले को दिल तक पहुंचा देता है, जिससे दिल का दौरा पड़ जाता है. इतना ही नहीं, अगर मस्तिष्क परिसंचरण में हवा के बुलबुलों को डाल दिया जाए तो मौत निश्चित है. ऑर्थोपेडिक सर्जरी के दौरान से एयर एमबॉलिज्म के चांसेस 57 फीसदी तक होता है. लेकिन उतना नुकसान नहीं होगा. लेकिन शरीर में अगर 2-3 मिलीलीटर हवा को इंजेक्ट कर दिया जाए तो वो जानलेवा साबित हो सकता है. वहीं, प्रवीण जैन नाम के यूजर ने लिखा है कि इंजेक्शन लगाने से पहले हवा निकाल दी जाती है, क्योंकि हवा का एक बुलबुला नस में चला जाए और वह खून का बहना ब्लॉक हो जाए, तो दिल का दौरा पड़ सकता है. इसीलिए इंजेक्शन लगाने से पहले सुई को ऊपर करके हवा के साथ- साथ जरा सी दवाई भी निकाली जाती है.
इनकी मौत सबसे ज्यादा!
आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन बता दें कि कई बार स्कूबा डाइविंग की वजह से एयर एमबोलिज्स की समस्या हो जाती है. समुद्र में पानी के अंदर डाइव करने वाले ज्यादातर लोगों की मौत ऐसे हवा के बुलबुलों के शरीर में घुसने से हो जाती है. धमनियों में हवा घुसने से हड्डियों के जोड़ों में दर्द, दिल का दौरा, चमड़ी में जलन, मुंह से खून आने वाले लक्षण देखने को मिल सकते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बहुत कम मात्रा में हवा के जाने से शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं होता है. यही वजह है कि डॉक्टर जब इंजेक्शन लगाते हैं तो उससे पहले उसमें से हवा निकालते हैं.