अमेरिका के राष्ट्रपति की तरह PM मोदी भी.. आखिर ये क्या बोल गए राहुल गांधी?

विधानसभा चुनावों में नेताओं के तूफानी दौरे जारी हैं. इस बीच आरोप-प्रत्यारोप भी अपने चरम पर है. इसी कड़ी में लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस के सीनियर लीडर राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तीखा निशाना साधते हुए उन पर पर्सनल अटैक किया है. राहुल ने आरोप लगाया कि मेरी बहन ने मुझे बताया कि इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उसी मुद्दे पर बोल रहे हैं जिसे मैं उठाता रहा हूं. मैंने उनसे लोकसभा में कहा था कि जाति जनगणना होनी चाहिए और आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाई जानी चाहिए. अब वह अपनी चुनावी रैलियों में कह रहे हैं कि मैं आरक्षण के खिलाफ हूं. वह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की तरह याददाश्त चले जाने की समस्या से ग्रस्त हैं.



 

 

महाराष्ट्र के अमरावती में रैली
असल में महाराष्ट्र के अमरावती में एक रैली में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी संविधान को देश का डीएनए मानती है, जबकि बीजेपी और आरएसएस के लिए यह एक कोरी किताब है. राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बीजेपी द्वारा हाल ही में किए गए उस दावे के बाद यह टिप्पणी की है जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस नेता अपनी चुनावी रैलियों में संविधान की एक प्रति दिखा रहे हैं जिसके अंदर खाली पन्ने हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अब कहेंगे कि राहुल गांधी जाति जनगणना के खिलाफ हैं.

 

 

 

‘मेरी छवि खराब करने के लिए करोड़ों खर्च किए’
इतना ही नहीं राहुल गांधी ने दावा किया कि विरोधी लोगों ने मेरी छवि खराब करने और मुझे बदनाम करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं जबकि मैं दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए खड़ा हूं. राहुल गांधी ने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी किसानों और छोटे व्यवसायों को खत्म करने के हथियार हैं. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी बढ़ रही है और इसी कारण समाज में नफरत फैल रही है.

 

 

 

संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि..
वहीं बीजेपी पर निशाना साधते हुए राहुल ने कहा कि संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकारें गिराई जा सकती हैं जैसा कि महाराष्ट्र में किया गया. उन्होंने कहा कि इसमें यह भी नहीं लिखा है कि बड़े उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया जा सकता है. राहुल ने कहा कि कांग्रेस संविधान को देश का डीएनए मानती है, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी और संघ के लिए यह एक कोरी किताब है.

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