राजकुमार साहू
जांजगीर-चाम्पा जिले की पुलिसिंग पर लंबे समय से सवाल उठ रहे हैं. जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे खोखरा गांव की शराब दुकान के पास कैश कलेक्शन गाड़ी से 78 लाख रुपये की लूट, गोलीबारी और इसके बाद इस वारदात के खुलासे नहीं होने से जिले की पुलिसिंग पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. खास बात यह है कि जिले के इतिहास में लूट की यह सबसे बड़ी वारदात है. इतनी बड़ी घटना जिले में पहले कभी नहीं हुई है. वारदात के बाद बदमाशों को पकड़ने तमाम दावे किए गए, लेकिन नतीजा अब तक कुछ भी हासिल नहीं हो सका है. जिले की पुलिसिंग के हाल का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 78 लाख रुपये की लूट के सीसीटीवी फुटेज आने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है. इस तरह लोगों में जिले की खराब पुलिसिंग और बढ़ते अपराध की खूब चर्चा है. 78 लाख रुपये की लूट के पहले केरा के बैंक में लूट, नवागढ़ के बैंक में लूट की कोशिश, राहौद के एटीएम में लूट की कोशिश समेत अन्य अपराधों का पुलिस खुलासा नहीं सकी है. जिले में ऐसे और भी अपराध है, जिनका खुलासा होना बाकी है.
खोखरा में जिस अंदाज में दिनदहाड़े बदमाशों ने लूट की वारदात को अंजाम दिया था, उस वक्त भी नजर आया था कि बदमाशों में पुलिस का कितना खौफ है ? यहां बदमाशों ने बेखौफ होकर वारदात को घटित किया था. इस तरह 78 लाख रुपये की सबसे बड़ी लूट का खुलासा नहीं होने से बदमाशों के हौसले और भी बुलंद होगा. वारदात के बाद शुरुआत में पुलिस ने खूब धमाचौकड़ी की, लेकिन इस मामले को अब पुलिस ने जैसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है ? बदमाशों के सुराग बताने वालों को ईनाम देने की भी घोषणा हुई है. इसके बाद, जांच टीम की अभी कोई एक्टीविटी नजर नहीं आ रही है. बदमाशों के गिरोह को शुरू में बाहरी बताया गया था, लेकिन अब तक पुलिस को लुटेरों के बारे में कुछ भी पता नहीं चला है, यही पुलिस की नाकामी को भी दर्शाता है. 50 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम बनी थी और शुरुआती दिनों में हाथ-पैर मारने के बाद संगीन वारदात के इस गम्भीर मामले को जैसे अब पुलिस भूल सी गई है.
बताया जाता है कि शराब की कलेक्शन राशि का बीमा रहता है और कम्पनी को लूट की रकम, बीमा से मिल जाएगी. ऐसे में सभी ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है. सवाल यह है कि इस बड़ी राशि की लूट के बाद यदि बदमाश पकड़ में नहीं आए तो जनता, पुलिस की कार्यशैली पर सवाल तो उठाएगी ही ? जिले के इतिहास की सबसे बड़ी लूट की वारदात, उसमें भी पुलिस के लंबे हाथ से बदमाश दूर हों तो समझा जा सकता है कि जिले की पुलिस का खुफिया तंत्र कितना कमजोर है ?
जिले की पुलिस कुछ छोटे मामलों में कार्रवाई कर अपनी पीठ खूब थपथपाती है और जब 78 लाख रुपये की लूट के मामले की बात आती है तो पुलिस के पास कोई जवाब नहीं रहता ? जनता तो चाहती है, बड़ी लूट का जल्द खुलासा हो, लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली फिसड्डी साबित हो जाए तो लंबे हाथ भी छोटे पड़ ही जाते हैं ? जिले में 78 लाख रुपये की लूट का खुलासा नहीं हो पाना, पुलिस के दामन में बड़ा दाग है और कह सकते हैं, …ये दाग अच्छे नहीं है ? अब देखना होगा कि बदमाशों को पकड़कर इस दाग को पुलिस कब तक धो पाती है ? या फिर लूट की यह बड़ी वारदात, अनसुलझे वारदातों की लिस्ट में इसी तरह दर्ज रहेगी ?