जांजगीर-चाम्पा. यदि आप खुमरी पहने के शौक़ीन हैं तो आपको कहीं भटकने की बिल्कुल ही जरुरत नहीं है. आपको सहज ही जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर स्थित चांपा क्षेत्र से लगा एक छोटा सा गांव बहेराडीह, जहां विलुप्त चीजों को सहेजने का काम कर रहे किसान स्कूल में अब लोगों को सिर्फ साढ़े पांच सौ रूपये खुमरी आसानी से मिलेगी.
इस सम्बन्ध में वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि बड़े से बड़े कार्यक्रमों में अतिथियों के स्वागत के लिए आयोजनकर्ता खुमरी मार्केट में खोजते हैं, मगर कहीं नहीं मिलती. ऐसे में देश के पहले किसान स्कूल के संग्रहालय में रखी खुमरी को देख लोग खरीदना चाहते हैं, लेकिन संग्रहालय के सामान को विक्रय नहीं किया जाता. ऐसे में खुमरी की मांग देखते हुए किसान स्कूल की टीम ने खुमरी पर्याप्त मात्रा में बनाना शुरू किया है, जिसे शौक़ीन लोग साढ़े पांच सौ रूपये में खरीद रहे हैं.
क्या है खुमरी..
खुमरी पुराने ज़माने का एक प्रकार की टोपी ही है, जो टोपी से बड़ा साइज का होता है. यह नरम देशी और कच्चा बांस से बनाई जाती है. पानी या धूप से सिर को बचाने के लिए सराई पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है. किसान स्कूल के संचालक ने बताया कि ज़ब किसान स्कूल की लोकार्पण किया गया तो अतिथियों को किसान स्कूल की टीम ने फूल, गुलदस्ता की जगह पर खुमरी पहनाकर स्वागत किया था. किसान स्कूल आने वाले सभी अतिथियों का खुमरी पहनाकर स्वागत किया जाता है, वहीं धरोहर सेल्फी जोन में अतिथि, खुमरी के साथ खास फ़ोटो खिंचवाते हैं.
मिल रहा ऑर्डर…
हमारे देश में शौक़ीन लोगों की कमी नहीं है. पुराने ज़माने में किसानों द्वारा बारिश और धूप से सिर को बचाने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले खुमरी आज विलुप्त हो गईं है, मगर शौक़ीन लोगों को आज भी खुमरी बहुत पसंद आती है. किसान स्कूल परिसर में फोटोग्राफी के लिये एक सेल्फी जोन बनाया गया है, जहां लोग सिर में खुमरी पहनकर फोटो लेते हैं.