जांजगीर-चाम्पा. छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है और जिले के सारागांव क्षेत्र के देवरी गांव के युवक के द्वारा धान से अनोखी राखियां बनाई जा रही है. कुछ ही दिनों में रक्षाबंधन का त्योहार आने वाला है और भाईयों के हाथों में धान से बनी अनोखी राखियां सज सकेंगी.
जिले में सबसे अधिक धान की पैदावार होती है और छग की संस्कृति और विरासत को समेटे ‘धान की राखियां’ बनाई जा रही है. युवक के नवाचार को देखकर लोगों के द्वारा खूब सराहना की जा रही है. लोगों में युवक के द्वारा बनाई गई अनोखी ‘धान की राखी’ की काफी डिमांड है. धान की राखी को लोगों के द्वारा खूब पंसद किया जाता है. ‘धान की राखियां’ बनाने में उनकी पत्नी के द्वारा भी सहयोग किया जाता है.
लोगों ने बताया कि चुड़ामणि सूर्यवंशी के द्वारा धान से विभिन्न प्रकार की सुंदर राखियां बनाई जाती है, जिसे उन लोगों के द्वारा हर साल खरीदी भी करते हैं. बाजार में मिलने वाली चाइनीज राखियां के मुकाबले ‘धान की राखियां’ काफी सुंदर, बेहतर रहती है और लोगों को खूब आकर्षित करती है.
युवक चुड़ामणि सूर्यवंशी ने बताया कि ‘छग को धान का कटोरा’ कहा जाता है. शुरुआत के समय में वह धान की ज्वेलरी बनाया करता था. मार्केट में मिलने वाली चाइनीज राखियां, मोती की राखी से धान की भी राखियां बनाने की कोशिश की, तब वह शुरुआत में 4 से 5 सौ राखियां बनाई थी, जिसे बाजार में बेचने के लिए लेकर गया था. बाजार में ‘धान की राखी’ को लोगों ने काफी पसंद किया गया था. ये सभी राखियां प्राकृतिक रहती है. हर साल राखियों की डिमांड बढ़ने पर वह ज्यादा से ज्यादा राखी बनाने का काम करते हैं. अभी साढ़े 3 हजार राखियां बना चुका है. कम से कम 5 हजार तक राखियां बनाने का लक्ष्य है. आपको बता दें, युवक चुड़ामणि सूर्यवंशी के द्वारा धान की पैरा से पेटिंग भी बनाई जाती है और पैरा आर्ट की ट्रेनिंग भी जाती है.