जांजगीर-चाम्पा. किसी भी फ़सल के अनुसन्धान और संरक्षण तथा उनके संवर्धन में करोड़ों रूपये शासन का खर्च होता है, लेकिन जिले के बहेराडीह गांव में रहने वाले कृषक दीनदयाल यादव ने सरकार के बिना किसी सहयोग लिए विगत 14 साल से 12 प्रकार की देशी जंगली मिर्च को वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल परिसर में संरक्षित करके मिर्च में विद्यमान तीखापन को लेकर अनुसन्धान कर रहे हैं.




किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि वे विगत 14 साल से छत्तीसगढ़ की 36 प्रमुख भाजियों के साथ ही 12 प्रकार की देशी व जंगली मिर्च पर अनुसन्धान कर रहे हैं. मिर्च में विद्यमान तीखापन की मात्रा तथा मिर्च में पाई जाने वाली कैपसेसिन नामक रासायनिक तत्व का कम, मध्यम व अधिक का कारण जैविक खाद और रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके अनुसन्धान कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस अनुसन्धान में कम से तीन साल अभी और लग सकता है.


अनुसन्धान में मिर्च का सभी प्रकार के गुण, दोष, विशेषता, उत्पादन, बीमारी, प्रति पेड़ की ऊंचाई, जीवनकाल, फल की साइज, वजन, बीज की मात्रा तथा अन्य कई महत्वपूर्ण बिन्दुओ पर अनुसन्धान किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि देशी बीजो के संरक्षण, संवर्धन तथा अनुसन्धान के लिए उन्हें अब क़ृषि विज्ञान केंद्र, उद्यान विभाग व नाबार्ड के सहयोग लेने का निर्णय लिया है.
जिले के बहेराडीह गांव में स्थित देश का पहला किसान स्कूल में वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल के संचालक व किसान दीनदयाल यादव के द्वारा लम्बे समय से देशी बीजो का संरक्षण, संवर्धन और अनुसन्धान के काम में क़ृषि विज्ञान केंद्र द्वारा शासन प्रशासन के मार्गदर्शन में हर संभव मदद किया जाएगा.
डॉ. केडी महंत, प्रमुख, केवीके जांजगीर






