Who is RO Khanna: आखिर कौन हैं ‘रो खन्ना’? जिन्होंने भारत के लिए एक तीर से किए दो शिकार, रूस भी खुश और चीन की भी निकल गई हेकड़ी

चीन को रोकने के लिए अमेरिका कुछ भी करने को तैयार है। हालांकि, अमेरिका यह जानता है कि भारत की मदद के बिना यह संभव नहीं है। ऐसे में वह भारत की हर शर्त मानने को तैयार है।



इसका मजमून तब दिखाई दिया, जब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा(यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव) ने भारत के पक्ष में एक बड़ा फैसला किया। प्रतिनिध सभा ने नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

यह प्रस्ताव अमेरिका के ‘काउंटिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (CAATSA) के प्रतिबंधों से दायरे से भारत को बाहर करता है। यानी भारत अगर रूस से हथियार खरीदता है तो अमेरिका को इससे कोई परेशानी नहीं होगी।

खास बात यह है कि यह प्रस्ताव भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना द्वारा लाया गया था, जिसे दोनों पार्टियों के सांसदों ने अपनी मंजूरी दे दी। ऐसे में जानते हैं रो खन्ना के बारे में… आखिर कौन हैं वो, क्यों लाए यह प्रस्ताव और भारत को इससे क्या है फायदा?

पहले जानते हैं कौन हैं रो खन्ना

रो खन्ना भारतीय मूल के अमेरिकी राजनीतिज्ञ व वकील हैं। 2017 से वह कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद भी हैं। उनका जन्म 13 सितंबर, 1976 में फिलाडेल्फिया में एक भारतीय पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता पंजाब से यू.एस. में आकर बस गए।

रो खन्ना के पिता एक केमिकल इंजीनियर हैं जिन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और फिर मिशिगन विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। उनकी मां शिक्षिका रही हैं। खन्ना ने 8 अगस्त, 2009 से अगस्त 2011 तक राष्ट्रपति बराक ओबामा के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्य विभाग में उप सहायक सचिव के रूप में भी काम किया।

अब जानते हैं क्या है CAATSA कानून

इस कानून के तहत अमेरिका अपने विरोधी देशों से हथियारों की खरीदी के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कदम उठाता है। अमेरिका CAATSA के तहत उन देशों पर प्रतिबंध लगाता है जिनका ईरान, उत्तर कोरिया या रूस के साथ लेनदेन है। भारत ने रूस से एस-500 मिसाइल रक्षा प्रणाली को लेकर सौदा किया था। ऐसे में भारत भी इन प्रतिबंधों के दायरे में आ गया था।

रो खन्ना क्यों लाए यह प्रस्ताव?

इस मामले में भारत का पक्ष लेते हुए रो खन्ना ने कहा था कि भारत को अपनी रक्षा जरूरतों के लिए भारी रूसी हथियार प्रणालियों की जरूरत है। इसलिए उसे CAATSA के तहत प्रतिबंधों में छूट दी जाए। रूस और चीन की घनिष्ठ साझेदारी को देखते हुए हमलावरों को रोकने के लिए ऐसा करना अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी के सर्वोत्तम हित में होगा। दरअसल, भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के 5 स्क्वाड्रनों के लिए रूस के साथ 5.43 अरब डॉलर का सौदा किया था।

अमेरिका क्यों लगा रहा था प्रतिबंध?

भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के 5 स्क्वाड्रनों के लिए रूस के साथ 5.43 अरब डॉलर का सौदा किया था। इसके बाद से अमेरिका कॉट्सा अधिनियम के तहत कार्रवाई पर विचार कर रहा है। सौदे के समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को इस सौदे के लिए प्रतिबंधों को लेकर धमकी भी दी थी। हालांकि, भारत ने इसके बावजूद इस सौदे को जारी रखा।

कैसे चीन और रूस पर पड़ेगा असर

अमेरिका की प्रतिनिधि सभा द्वारा प्रस्ताव मंजूर होने के बाद इसे सीनेट के दोनों सदनों में पास कराना होगा। इसके बाद ही इसे कानूनी मान्यता मिलेगी। अगर, ऐसा होता है तो भारत बिना किसी चिंता के आगे भी रूस से हथियारों की खरीद जारी रखेगा। इसका असर सीधे तौर पर चीन पर पड़ेगा। भारत हथियारों के मामले में जितना मजबूत होगा, चीन को उतना ही आक्रामक रवैया छोड़कर बातचीत के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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