Kisaan School : बहेराडीह की क़ृषि तकनीक को देखने अमेरिका से 18 मार्च को आएंगे किसान, किसान स्कूल में आयोजित होने वाली कृषि संगोष्ठी में शामिल होंगे अमेरिकी मेहमान, वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल की खासियत के बारे में जानिए…

जांजगीर-चाम्पा. ग्राम बहेराडीह के वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल को देखने और यहां पर 18 मार्च को आयोजित होने वाले ‘खेती में महिलाओं की भागीदारी’ विषय पर आधारित कृषि संगोष्ठी कार्यक्रम में यूएसए अमेरिका के किसान शामिल होंगे. देश के पहले किसान स्कूल में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के लिए किसानों और महिलाओं में काफी उत्साह है.



इस सम्बन्ध में किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव ने बताया कि यहां पर अमेरिका समेत कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी आदि देशों के अलावा भारत के आधा दर्जन राज्यों के किसानों ने यहां के किसानों को खेती-किसानी की तकनिकी की जानकारी को साझा करने आ चुके हैं.

 

आकर्षण का केंद्र होगी छत्तीसगढ़ की 36 भाजियां
विगत 12 साल से छत्तीसगढ़ की 36 प्रमुख भाजियों के संरक्षण और संवर्धन करने की दिशा में काम कर रहे युवा किसान दीनदयाल यादव ने बताया कि विदेशी मेहमानों को हमारे भारत देश और छत्तीसगढ़ राज्य की क़ृषि पद्धति तथा धरोहर को बचाने की अभियान के साथ ही छत्तीसगढ़ की 36 प्रमुख भाजियों की इकाई आकर्षण का केंद्र होगी.

फूल नहीं, बल्कि धान के झुमर से होगा स्वागत
किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल ने बताया कि हमारी टीम के लोगों के द्वारा विदेशी मेहमानों का स्वागत गेंदा के फूलमाला से नहीं, बल्कि बिहान की महिला किसानों के द्वारा तैयार धान के झुमर से स्वागत किया जायेगा.

किसान स्कूल का ‘धरोहर’ है सेल्फी पाइंट
बहेराडीह के किसान स्कूल में कृषि तकनीक को देखने और जानने के कई आयाम हैं, लेकिन परिसर में पुरानी कृषि सामग्री को संरक्षित कर किसानों के द्वारा बनाया गया ‘धरोहर’, किसान स्कूल आने वाले लोगों को स्वाभविक तौर पर आकर्षित करता है और लोग यहां सेल्फी लिए बगैर नहीं रह सकते, इसलिए ‘धरोहर’ स्थल सेल्फी पॉइंट बन गया है.

एक ही परिसर में कृषि के अनेक आयाम
किसान स्कूल के एक ही परिसर में कृषि के अनेक आयाम देखे जा सकते हैं. किसान स्कूल में किसानों को जहां 18 विषयों की जानकारी दी जाती है, वहीं नीमसार बनाने की तकनीक, गोबर गैस तकनीक, 36 भाजी का संग्रह, अजोला इकाई, अक्षय चक्र वाटिका, छत पर बागवानी, जैविक खेती निर्माण समेत अन्य कार्य हैं, जो किसानों को आकर्षित करते हैं. अभी परिसर में जैविक खाद की वजह से फलों से जमीन तक लदा मुनगा भी आकर्षण का केंद्र है.

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